- यह लेख ASER 2024 की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें भारत की शिक्षा प्रणाली में क्षेत्रीय असमानताओं को उजागर किया गया है।
- केरल, हिमाचल प्रदेश और मिजोरम जैसे राज्य उच्च स्तर की साक्षरता और संख्यात्मकता में अग्रणी हैं, जबकि झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य पिछड़ रहे हैं।
प्रमुख बिंदु
क्षेत्रीय असमानताएँ
- साक्षरता स्तर: केरल में कक्षा 5 के छात्रों में 64% से अधिक पढ़ाई का स्तर, जबकि झारखंड, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बुनियादी शैक्षणिक परिणाम खराब हैं।
- शिक्षक प्रशिक्षण: फिनलैंड के शिक्षा मॉडल से प्रेरणा लेकर भारत को मूल्यांकन और शिक्षक प्रशिक्षण में सुधार की आवश्यकता है।
शिक्षा प्रणाली में प्रमुख विकास
- नामांकन में वृद्धि: 3 वर्षीय बच्चों का नामांकन 68.1% से बढ़कर 77.4% हुआ।
- महिला नामांकन: महिला नामांकन में 38.4% की वृद्धि, 1.57 करोड़ से 2.18 करोड़ हुआ।
- ड्रॉपआउट दर: 15-16 वर्ष के बच्चों की ड्रॉपआउट दर 13.1% से घटकर 7.9% हो गई।
आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता
- NIPUN भारत मिशन: कक्षा 3 तक सभी बच्चों के लिए FLN कौशल सुनिश्चित करने का लक्ष्य।
- सुधार: सरकारी स्कूलों में कक्षा 3 के छात्रों की पढ़ाई का स्तर 16.3% से बढ़कर 23.4% हुआ।
उच्च शिक्षा में समावेशिता
- छात्रवृत्तियाँ और आरक्षण: SC/ST/OBC के लिए सीटों में वृद्धि और निशुल्क कोचिंग कार्यक्रमों से समावेशिता बढ़ी।
- महिला STEM भागीदारी: STEM क्षेत्रों में महिला छात्रों का प्रतिशत 40% से अधिक हुआ।
वैश्विक मान्यता
- विश्व रैंकिंग: भारतीय विश्वविद्यालयों की वैश्विक रैंकिंग में सुधार, IISc बेंगलुरु 96वें स्थान पर।
- Institutions of Eminence: चयनित विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता और प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने में मदद मिली है।
प्रमुख मुद्दे
- उच्च ड्रॉपआउट दर: माध्यमिक और उच्च शिक्षा में ड्रॉपआउट दर बढ़ रही है, विशेषकर लड़कियों में।
- शिक्षक की कमी: लगभग 10 लाख शिक्षक पद रिक्त हैं।
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में असमानता: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता में बड़ा अंतर।
सुधार के उपाय
- व्यावसायिक शिक्षा का विस्तार: कक्षा 6 से अनिवार्य व्यावसायिक प्रशिक्षण।
- शिक्षक प्रशिक्षण में सुधार: डिजिटल संसाधनों के साथ मिश्रित शिक्षण दृष्टिकोण।
- अनुसंधान और विकास में निवेश: शिक्षा पर GDP का 6% खर्च करना।
आगे की राह
भारत की शिक्षा प्रणाली को सशक्त बनाने के लिए कौशल-आधारित शिक्षा, शिक्षक सशक्तीकरण और संसाधनों तक समान पहुँच पर ध्यान देना आवश्यक है। समावेशी और व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ावा देकर भारत अपनी वास्तविक क्षमता को अनलॉक कर सकता है।