मुख्य विषय: भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती, विशेषकर रक्षा, प्रौद्योगिकी और क्षेत्रीय सहयोग में प्रगति।
सहयोग के प्रमुख क्षेत्र
1. रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग
- भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंधों का विस्तार।
- प्रमुख रक्षा साझेदार (MDP) का दर्जा और STA-1 में शामिल होना।
- F-35 लड़ाकू विमानों तक संभावित पहुंच।
- ऑटोनोमस सिस्टम्स इंडस्ट्री अलायंस (ASIA) के तहत AI-संचालित रक्षा क्षमताएँ।
2. व्यापार और निवेश संबंध
- 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य।
- द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) का प्रस्ताव।
- भारत ने बॉर्बन और ICT उत्पादों पर टैरिफ कम किए, जबकि अमेरिका ने भारतीय उत्पादों के लिए बाजार अभिगम बढ़ाया।
3. ऊर्जा और जलवायु सहयोग
- अमेरिका, भारत का प्रमुख LNG और कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता।
- अमेरिका-भारत ऊर्जा सुरक्षा साझेदारी (2025) का फोकस हाइड्रोकार्बन व्यापार और नवीकरणीय ऊर्जा पर।
- 2024 में भारत ने अमेरिका से 5.12 मिलियन टन LNG का आयात किया।
4. प्रौद्योगिकी और नवाचार साझेदारी
- यूएस-इंडिया TRUST पहल के तहत AI, अर्द्धचालक और क्वांटम में सहयोग।
- INDUS इनोवेशन प्लेटफार्म के माध्यम से निजी क्षेत्र का समर्थन।
5. अंतरिक्ष सहयोग
- NASA-ISRO साझेदारी के तहत मानव अंतरिक्ष उड़ान और ग्रह अन्वेषण।
- NISAR उपग्रह (2024) जलवायु अनुकूलन में मदद करेगा।
- NASA-ISRO AXIOM मिशन-4 (2025) के तहत पहला भारतीय अंतरिक्ष यात्री ISS पर भेजा जाएगा।
6. सामरिक हिंद-प्रशांत सहयोग
- चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए क्वाड साझेदारी।
- कंबाइंड मेरीटाइम फोर्सेस (CMF) में भारत की पूर्ण सदस्यता।
7. जन-जन संपर्क और शैक्षणिक संबंध
- भारतीय-अमेरिकी समुदाय की संख्या 5 मिलियन।
- अमेरिका में 3.3 लाख भारतीय छात्र शिक्षा में योगदान कर रहे हैं।
टकराव के प्रमुख क्षेत्र
1. व्यापार विवाद और टैरिफ बाधाएँ
- उच्च भारतीय टैरिफ और अमेरिकी निर्यात पर गैर-टैरिफ बाधाएँ।
- 2024 में भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 45.7 बिलियन डॉलर।
2. रक्षा प्रौद्योगिकी और निर्यात नियंत्रण
- अमेरिकी निर्यात नियंत्रण भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी के विकास को सीमित करते हैं।
3. चीन नीति और सामरिक स्वायत्तता
- भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और गुटनिरपेक्षता बनाम अमेरिका की अपेक्षाएँ।
4. वीज़ा और आव्रजन प्रतिबंध
- H-1B वीज़ा की सीमाएँ और लंबित ग्रीन कार्ड आवेदनों की संख्या।
5. असैन्य परमाणु सहयोग में प्रगति का अभाव
- असैन्य दायित्व अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता।
6. डिजिटल व्यापार और डेटा स्थानीयकरण मुद्दे
- डेटा स्थानीयकरण पर भारत का रुख और अमेरिकी कंपनियों की चिंताएँ।
7. वैश्विक शासन पर मतभेद
- भारत की तटस्थता और अमेरिकी दबाव।
भारत के लिए सुझाव
1. रक्षा सह-विकास और औद्योगिक सहयोग
- प्रौद्योगिकी अंतरण और सह-विकास को बढ़ावा देना।
2. व्यापार बाधाओं का समाधान
- द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना।
3. ऊर्जा और जलवायु सहयोग को गहन करना
- दीर्घकालिक ऊर्जा समझौतों का विस्तार करना।
4. प्रौद्योगिकी और नवाचार साझेदारी को गति देना
- संयुक्त अनुसंधान और विकास में तेजी लाना।
5. आव्रजन और गतिशीलता कार्यढांचे में सुधार
- H-1B वीज़ा सीमा बढ़ाना और कार्य परमिट के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाना।
6. बहुपक्षीय और वैश्विक शासन सहभागिता का विस्तार
- संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन प्राप्त करना।
आगे की राह
- भारत और अमेरिका के बीच उच्च स्तरीय साझेदारी ने मजबूत संबंधों को रेखांकित किया है।
- व्यापार बाधाएँ, रणनीतिक स्वायत्तता और नियामक चुनौतियाँ प्रमुख हैं।
- इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।