भारत में पर्यटन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति
- आर्थिक योगदान:
- भारत का पर्यटन क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.8% और रोजगार में 9.2% का योगदान देता है।
- 2022 में इसका कुल GDP योगदान 199.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो 2028 तक 512 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
- यह क्षेत्र प्रतिवर्ष 7.1% की दर से बढ़ रहा है और 2029 तक 53 मिलियन नौकरियों का सृजन होने की उम्मीद है।
- विदेशी पर्यटकों का आगमन (FTA):
- 2023 में FTA 9.24 मिलियन तक पहुँच गया, जो 2022 में 6.43 मिलियन था।
- प्रमुख स्रोत: बांग्लादेश (24.5%), अमेरिका (20.4%), और यूके (6.9%)।
पर्यटन क्षेत्र का महत्त्व
- आर्थिक उत्प्रेरक:
- पर्यटन आय को बढ़ाकर और आतिथ्य, परिवहन, और खुदरा में रोजगार सृजित करता है, जिससे 2024 के अंत तक 39.5 मिलियन नौकरियों का अनुमान है।
- 2023 में विदेशी मुद्रा आय 28.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही।
- सांस्कृतिक संरक्षण:
- स्वदेश दर्शन जैसी पहलों के माध्यम से सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण होता है।
- भारत में 43 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं।
- बुनियादी अवसंरचना विकास:
- पर्यटन बुनियादी अवसंरचना जैसे सड़कों और हवाई अड्डों के विकास को बढ़ावा देता है।
- उड़ान योजना से 148 क्षेत्रीय हवाई अड्डों का विकास हुआ है।
- पर्यावरणीय स्थिरता:
- इकोटूरिज्म जैव विविधता की सुरक्षा के साथ-साथ स्थायी आजीविका भी प्रदान करता है।
- काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान ने 2024 में 8.8 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त किया।
प्रमुख चुनौतियाँ
- असंगत पर्यटन अवसंरचना विकास:
- भारत में अवसंरचना की कमी और असमानता है, जिससे पर्यटन की संभावनाएँ सीमित होती हैं।
- पर्यावरणीय चुनौतियाँ:
- अति-पर्यटन के कारण पर्यावरणीय क्षति होती है, जैसे शिमला में जल संकट।
- घरेलू पर्यटन पर निर्भरता:
- घरेलू पर्यटन पर उच्च निर्भरता विदेशी मुद्रा अर्जन को सीमित करती है।
- सुरक्षा और संरक्षा संबंधी चिंताएँ:
- बढ़ती सुरक्षा समस्याएँ, विशेष रूप से महिलाओं के लिए, पर्यटन की छवि को प्रभावित कर रही हैं।
- कुशल कार्यबल की कमी:
- पर्यटन क्षेत्र में 3.5 मिलियन कुशल श्रमिकों की कमी की संभावना है।
सतत् पर्यटन को बढ़ावा देने के उपाय
- सतत् अवसंरचना का विकास:
- पर्यावरण अनुकूल अवसंरचना पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- समुदाय-आधारित पर्यटन:
- स्थानीय समुदायों को पर्यटन में शामिल करके स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी:
- सरकार और निजी क्षेत्र के सहयोग से स्थायी परियोजनाओं के लिए निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है।
- अपशिष्ट प्रबंधन:
- प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली अपनाना चाहिए।
- प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना:
- स्मार्ट पर्यटन के लिए तकनीकी समाधान लागू किए जाने चाहिए।
- नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग:
- पर्यटन स्थलों पर नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों को लागू करना चाहिए।
आगे की राह
भारत का पर्यटन क्षेत्र सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) से जुड़कर रोजगार सृजन, पर्यावरण संरक्षण, और सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देकर वैश्विक स्तर पर सतत् पर्यटन में अग्रणी बन सकता है।