डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियमावली, 2025
- महत्व: यह नियमावली डेटा सुरक्षा, सूचित सहमति, और डेटा मिटाने जैसे अधिकारों को परिभाषित करती है।
- उद्देश्य: डिजिटल समावेशन और सुरक्षा को बढ़ावा देना।
डिजिटल इंडिया पहल
- शुरुआत: 1 जुलाई, 2015 को भारत सरकार द्वारा शुरू।
- उद्देश्य: डिजिटल डिवाइड को समाप्त करना, डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देना, और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना।
भारत के डिजिटल विकास के प्रमुख चालक
- डिजिटल अवसंरचना का विस्तार:
- भारतनेट और 5G रोलआउट से ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट उपलब्धता बढ़ रही है।
- इंटरनेट उपयोगकर्ता: 800 मिलियन से अधिक।
- तेज़ी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था:
- ई-कॉमर्स और फिनटेक के माध्यम से विकास।
- भविष्यवाणी: 2028 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था।
- डिजिटल कौशल और कार्यबल सक्षमता:
- स्किल इंडिया डिजिटल हब ने 1 करोड़ से अधिक पंजीकरण किए।
- स्मार्टफोन का बढ़ता उपयोग:
- Affordable smartphones ने मोबाइल-प्रथम डिजिटल अर्थव्यवस्था का निर्माण किया।
- स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र:
- भारतीय स्टार्ट-अप्स ने 2024 तक 30.4 बिलियन डॉलर का वित्त पोषण जुटाया।
- डिजिटल वित्तीय समावेशन:
- UPI और जन धन खातों के माध्यम से वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में सुधार।
भारत के डिजिटल विकास से जुड़े प्रमुख मुद्दे
- डिजिटल डिवाइड: शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में असमानता।
- साइबर सुरक्षा खतरे: 2022 में 13.91 लाख साइबर सुरक्षा घटनाएँ।
- डेटा गोपनीयता और संरक्षण: डेटा संग्रह और दुरुपयोग के खिलाफ सुरक्षा की कमी।
- बुनियादी अवसंरचना की अड़चनें: कम ब्रॉडबैंड स्पीड और नेटवर्क की कमी।
सुधार के उपाय
- डिजिटल विभाजन को समाप्त करना: ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी अवसंरचना का विस्तार।
- साइबर सुरक्षा तंत्र को बढ़ाना: व्यापक साइबर सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता।
- डेटा गोपनीयता को सुदृढ़ करना: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम का प्रभावी कार्यान्वयन।
- डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना: साइबर सुरक्षा जागरूकता और कौशल संवर्द्धन।
भारत को अपने डिजिटल विकास में समावेशिता, सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए रणनीतियों को लागू करना होगा।