- मुख्य विषय: भारत और आसियान देशों के बीच संबंधों का विकास और सहयोग।
- महत्व: क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक समृद्धि, और सांस्कृतिक संबंधों की मजबूती।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- प्रारंभिक संबंध: भारत की “लुक ईस्ट” नीति से “एक्ट ईस्ट” नीति की ओर संक्रमण।
- संस्कृतिक और ऐतिहासिक कड़ियाँ: भारतीय संस्कृति और धर्मों का प्रभाव, जैसे बौद्ध धर्म।
प्रमुख क्षेत्र
आर्थिक सहयोग
- व्यापार में वृद्धि: ASEAN भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार।
- FTA की समीक्षा: व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए India-ASEAN Free Trade Agreement की समीक्षा।
सुरक्षा और रक्षा सहयोग
- समुद्री सुरक्षा: दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों के खिलाफ सहयोग।
- संयुक्त नौसेना अभ्यास: समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के लिए संयुक्त अभ्यास।
तकनीकी और डिजिटल सहयोग
- डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना: भारत का UPI और ASEAN देशों के साथ डिजिटल लिंक स्थापित करना।
- जैव विविधता और सतत विकास: जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सहयोग और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश।
चुनौतियाँ
व्यापार असंतुलन
- व्यापार घाटा: भारत का ASEAN देशों के साथ $43 बिलियन का व्यापार घाटा।
- RCEP से बाहर निकलना: भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) से बाहर निकलने का निर्णय लिया।
सुरक्षा चिंताएँ
- चीन का प्रभाव: आसियान देशों की चीन पर निर्भरता, जो भारत के लिए चुनौती बनती है।
- राजनीतिक अस्थिरता: कुछ ASEAN देशों की आंतरिक राजनीतिक समस्याएँ।
उपाय और सुझाव
सहयोग को बढ़ाना
- FTA का सुधार: भारत-आसियान FTA में सुधार के लिए बातचीत को तेज करना।
- सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना: रक्षा सहयोग में वृद्धि के लिए अधिक संयुक्त अभ्यास आयोजित करना।
आर्थिक समृद्धि के लिए कदम
- निवेश आकर्षित करना: आसियान देशों में भारतीय निवेश को बढ़ावा देना।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान: लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करना।
आगे की राह
भारत-आसियान संबंधों का महत्व: आर्थिक और सुरक्षा सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता। भविष्य की दिशा: भारत को ASEAN देशों के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि विकास और सुरक्षा को संतुलित किया जा सके।