- आत्मनिर्भर भारत पहल: भारत रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
- आर्थिक वृद्धि: अगले दशक में रक्षा क्षेत्र में 138 बिलियन डॉलर के बड़े ऑर्डर की उम्मीद है, जिसमें एयरोस्पेस, मिसाइल, और आर्टिलरी शामिल हैं।
स्वदेशीकरण और आधुनिकीकरण का महत्त्व
सामरिक स्वायत्तता और राष्ट्रीय सुरक्षा
- विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम करने से भारत की संकट के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता बढ़ती है।
- 65% रक्षा उपकरण घरेलू स्तर पर निर्मित होते हैं, जो स्वदेशीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
आर्थिक विकास और औद्योगिक क्षमता
- रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 2024 में ₹1.27 लाख करोड़ तक पहुँच गया, जो कि FY15 की तुलना में 174% अधिक है।
- 16,000 से अधिक MSMEs और 430 लाइसेंस प्राप्त कंपनियाँ इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।
निर्यात क्षमता और वैश्विक कूटनीति
- रक्षा निर्यात 21,083 करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुँच गया, जो FY14 में केवल 686 करोड़ रुपये था।
- भारत अब 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करता है।
आपूर्ति शृंखला का समुत्थानशीलन
- स्वदेशी क्षमताओं का निर्माण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों के प्रति संवेदनशीलता को कम करता है।
प्रमुख चुनौतियाँ
तकनीकी अंतराल
- भारत को इंजन, अर्द्धचालक, और सटीक इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी प्रमुख प्रौद्योगिकियों में कमी का सामना करना पड़ रहा है।
निजी क्षेत्र की भागीदारी
- निजी उद्योग केवल 21% रक्षा उत्पादन में भाग लेता है, जो नवाचार और प्रतिस्पर्धा को बाधित करता है।
प्रशासनिक विलंब
- जटिल अधिग्रहण प्रक्रियाएँ और समयबद्ध निर्णय लेने की कमी आधुनिकीकरण प्रयासों को प्रभावित करती है।
अपर्याप्त अनुसंधान एवं विकास निवेश
- भारत का अनुसंधान एवं विकास पर खर्च GDP का केवल 0.7% है, जो अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है।
सरकारी पहलों
मेक इन इंडिया (रक्षा)
- यह योजना 2014 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है।
रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020
- घरेलू खरीद को प्राथमिकता देने के लिए नई श्रेणियाँ स्थापित की गई हैं।
iDEX और TDF
- रक्षा नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए स्टार्टअप्स और MSMEs को अनुदान और तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
आगे की राह
भारत का रक्षा स्वदेशीकरण और आधुनिकीकरण सामरिक स्वायत्तता, आर्थिक विकास, और वैश्विक नेतृत्व के लिए महत्वपूर्ण है। इन चुनौतियों का समाधान कर एक मजबूत, आत्मनिर्भर रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना आवश्यक है।