स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन का महत्त्व
- आर्थिक आवश्यकता: भारत का स्वच्छ ऊर्जा-संक्रमण जलवायु परिवर्तन के जोखिमों को कम करते हुए लाखों लोगों के लिए बिजली सुलभता सुनिश्चित करता है। (अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट और NITI आयोग की “इंडिया एनर्जी सिक्योरिटी सीनारियो 2047″।)
- जलवायु अनुकूलन: यह आर्थिक विकास और जलवायु अनुकूलन दोनों में भूमिका निभाता है।
स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के लाभ
- ऊर्जा सुरक्षा:
- भारत लगभग 85% कच्चा तेल और 50% प्राकृतिक गैस आयात करता है, जिससे यह वैश्विक कीमतों में परिवर्तन के प्रति संवेदनशील है। (पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG) और पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC)।)
- COP26 के तहत, 2030 तक नवीकरणीय क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाने का लक्ष्य।
- आर्थिक विकास और रोजगार:
- स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में औद्योगिक विस्तार और रोजगार सृजन के अवसर।
- CEEW के अनुसार, 2030 तक 10 लाख रोजगार का अनुमान। (काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (CEEW) और अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) की रिपोर्ट।)
- जलवायु अनुकूलन और प्रदूषण नियंत्रण:
- वायु प्रदूषण से वैश्विक स्तर पर 8.1 मिलियन मौतें हुई हैं; भारत और चीन में आधी से अधिक।
- 2024 में दिल्ली में PM2.5 स्तर का उच्चतम रिकॉर्ड।
प्रमुख चुनौतियाँ
- अपर्याप्त ग्रिड अवसंरचना: नवीकरणीय ऊर्जा की परिवर्तनशीलता को संभालने में असमर्थता। (केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) की रिपोर्ट और IEA विश्लेषण।)
- जीवाश्म ईंधन लॉबी: कोयला और तेल उद्योगों को दी जाने वाली सब्सिडी। (CEA की “ऊर्जा पर वार्षिक रिपोर्ट” और IEA का “इंडिया एनर्जी आउटलुक।”)
- वित्तीय दबाव: DISCOMs पर कर्ज का भारी बोझ। (पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (PFC) और REC लिमिटेड की रिपोर्ट।)
- आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएँ: सौर उपकरणों का आयात और घरेलू उत्पादन की कमी।
- भूमि अधिग्रहण और अनुमोदन की समस्याएँ: किसानों और पर्यावरणीय चिंताओं के साथ संघर्ष।
उपाय
- ग्रिड अवसंरचना का सुधार: स्मार्ट ग्रिड और ऊर्जा भंडारण में निवेश। (MNRE की “राष्ट्रीय ऊर्जा भंडारण मिशन” और CEA की ग्रिड आधुनिकीकरण योजनाएं।)
- वित्तीय सुधार: DISCOMs के लिए राजस्व संग्रह में सुधार और निवेश आकर्षित करना। (उज्ज्वल डिस्कॉम आश्वासन योजना (UDAY) अपडेट और RBI रिपोर्ट।)
- घरेलू उत्पादन: PLI योजना के तहत स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देना। (सौर निर्माण के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना और MNRE की घोषणाएं।)
- भूमि अधिग्रहण में सुधार: सरल और पारदर्शी प्रक्रिया। (MNRE की “ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर” परियोजना और सरकारी नीति दस्तावेज।)
- EV पारिस्थितिकी तंत्र का विकास: चार्जिंग नेटवर्क का विस्तार और बैटरी स्वैपिंग को प्रोत्साहन। (NITI आयोग की “बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी” और FAME-II योजना अपडेट।)
आगे की राह
भारत का स्वच्छ ऊर्जा-संक्रमण ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए आवश्यक है। इस परिवर्तन को गति देने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियों और नीतियों की आवश्यकता है। (NITI आयोग की “इंडिया एनर्जी सिक्योरिटी सीनारियो 2047” और IEA का “इंडिया एनर्जी आउटलुक।”)