- केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना: भारत की पहली बड़ी नदी-इंटरलिंकिंग पहल, 29 वर्षों के बाद प्रारंभ।
- विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच महत्वपूर्ण विवाद उत्पन्न।
भारत की वर्तमान मुख्य विकास प्राथमिकताएँ
1. बुनियादी ढाँचा विकास
- उद्देश्य: उत्पादकता बढ़ाना, व्यापार को सुगम बनाना, और निवेश आकर्षित करना।
- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन: 5 वर्षों में ₹111 लाख करोड़।
- 2023-24 में पूंजीगत व्यय: ₹10 लाख करोड़ (GDP का 3.3%)।
2. जलवायु परिवर्तन शमन
- नवीकरणीय ऊर्जा और निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियों का उपयोग।
- ग्रीन हाइड्रोजन मिशन: ₹19,700 करोड़।
- 2024 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता: 201.45 GW, कुल क्षमता का 46.3%।
3. मानव पूंजी विकास
- शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार।
- PM ई-विद्या योजना: डिजिटल शिक्षा का विस्तार।
- साक्षरता दर: 77.7%।
4. वित्तीय समावेशन
- UPI: 2024 में 172 बिलियन लेनदेन, 46% की वृद्धि।
- जन धन योजना: 53 करोड़ व्यक्तियों को वित्तीय प्रणाली में शामिल किया।
5. रोजगार सृजन
- PM विश्वकर्मा योजना: ₹13,000 करोड़।
- MGNREGA: ग्रामीण रोजगार सुरक्षा।
6. प्रौद्योगिकीय नवाचार
- सेमीकॉन इंडिया: ₹76,000 करोड़, वैश्विक सेमीकंडक्टर केंद्र बनाने की योजना।
7. सामाजिक न्याय
- नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023: संसद में 33% महिला प्रतिनिधित्व।
8. रक्षा आधुनिकीकरण
- बजट: 13% रक्षा क्षेत्र के लिए, स्वदेशी उत्पादन पर जोर।
9. शहरी विकास
- स्मार्ट सिटी मिशन: 100 शहरों में 7,188 परियोजनाएँ सफल।
10. कृषि आधुनिकीकरण
- डिजिटल कृषि मिशन: किसानों के लिए बाजार संपर्क में सुधार।
प्रमुख पर्यावरणीय चिंताएँ
1. निर्वनीकरण और आवास की क्षति
- 2015-2020 में निर्वनीकरण दर: 668 हेक्टेयर प्रति वर्ष।
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड: गंभीर संकट में।
2. वायु प्रदूषण
- 2023 में 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 39 भारत के थे।
- दिल्ली और कानपुर: PM2.5 स्तर WHO मानकों से अधिक।
3. जल तनाव
- भूजल पर निर्भरता: 70-80% किसानों का जल स्तर चिंताजनक।
- 600 मिलियन भारतीय जल संकट का सामना कर रहे हैं।
4. भूमि क्षरण
- 30% भूमि प्रभावित, लगभग 100 मिलियन हेक्टेयर क्षरित।
5. समुद्री प्रदूषण
- 9.3 मिलियन टन प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन।
6. जलवायु परिवर्तन
- 2023 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: 6.1% की वृद्धि।
7. शहरी अपशिष्ट प्रबंधन
- 62 मिलियन टन अपशिष्ट उत्पन्न, केवल 70% एकत्रित।
8. आर्द्रभूमि का नुकसान
- पिछले 30 वर्षों में 2 में से 1 वेटलैंड्स का क्षय।
संतुलन स्थापित करने की रणनीतियाँ
1. नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन
- ग्रिड-स्तरीय भंडारण प्रणालियाँ।
2. संधारणीय शहरीकरण
- हरित बुनियादी ढाँचा और शून्य-अपशिष्ट नीतियाँ।
3. वन संरक्षण
- समुदाय-आधारित वनरोपण और नीतिगत सुधार।
4. जल संसाधन प्रबंधन
- वर्षा जल संचयन और जलभृत पुनर्भरण।
5. चक्रीय अर्थव्यवस्था
- व्यवसायों को बंद-लूप प्रणाली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
6. परिवहन का विद्युतीकरण
- इलेक्ट्रिक वाहनों और हाइड्रोजन ईंधन-सेल का प्रचार।
7. कृषि हेतु जलवायु-स्मार्ट प्रथाएँ
- संवहनीय कृषि और फसल बीमा।
8. समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण
- संवहनीय मात्स्यिकी और पारिस्थितिकी पर्यटन।
9. व्यवहार परिवर्तन
- जन जागरूकता अभियान और पर्यावरण-साक्षरता कार्यक्रम।
भारत की विकास आकांक्षाएँ आर्थिक प्रगति को पर्यावरणीय संवहनीयता के साथ संतुलित करने पर निर्भर करती हैं। नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन और संवहनीय शहरीकरण की पहलें इस संतुलन को स्थापित करने की कुंजी हैं।