- भारत का वैश्विक विनिर्माण केंद्र में परिवर्तन, औपनिवेशिक अभाव से लेकर नीतिगत सुधारों, कुशल कार्यबल और तकनीकी प्रगति के माध्यम से।
मुख्य कारक
- नीतिगत सुधार और व्यापार में आसानी
- उत्पादन-संबंधित प्रोत्साहन (PLI) योजना: 14 क्षेत्रों में लागू।
- कॉर्पोरेट कर दर में कमी (15% नए विनिर्माण इकाइयों के लिए)।
- ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत का स्थान 63वां (2020)।
- बुनियादी ढांचे का विकास और लॉजिस्टिक्स
- गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान: सड़क, रेल, वायु और बंदरगाह संपर्क का एकीकरण।
- PM MITRA मेगा टेक्सटाइल पार्क और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर औद्योगिक क्लस्टरों को मजबूत कर रहे हैं।
- बजट 2025-26 में बुनियादी ढांचे के लिए 11.21 लाख करोड़ रुपये आवंटित।
- प्रौद्योगिकी अंगीकरण और उद्योग 4.0
- स्वचालन, AI, IoT और रोबोटिक्स का उपयोग।
- राष्ट्रीय क्वांटम मिशन और सेमीकंडक्टर निर्माण में निवेश।
- 2026 तक 300 अरब डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण केंद्र बनने की संभावना।
- हरित और सतत विनिर्माण
- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए प्रोत्साहन।
- 2030 तक 50% ऊर्जा गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य।
- भू-राजनीतिक पुनर्संरेखण
- अमेरिका-चीन तनावों और कोविड-19 के बाद वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव।
- प्रमुख कंपनियों (जैसे एप्पल, टेस्ला) का भारतीय उत्पादन सुविधाओं का विस्तार।
प्रमुख चुनौतियाँ
- उच्च लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला लागत
- लॉजिस्टिक्स लागत 14-18% GDP, वैश्विक मानक 8%।
- परिवहन नेटवर्क में कमियां और अंतिम कनेक्टिविटी में विलंब।
- कठोर श्रम कानून और कौशल अंतराल
- श्रम कोड में सुधार के बावजूद, अनुपालन बाधाएँ बनी हुई हैं।
- 2026 तक 30 मिलियन डिजिटल कौशल वाले श्रमिकों की आवश्यकता।
- कमज़ोर MSME पारिस्थितिकी तंत्र
- केवल 20% MSME को औपचारिक ऋण तक पहुंच।
- उच्च ब्याज दरें और ऋण में विलंब।
- बुनियादी ढांचे में अंतराल
- बिजली की असंगत आपूर्ति और अपर्याप्त औद्योगिक भूमि।
- भूमि अधिग्रहण में विलंब।
- चीन पर निर्भरता
- कच्चे माल और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए भारी निर्भरता।
- भारत की 70% API (एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स) चीन से आयात होती है।
उपाय
- लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला दक्षता में वृद्धि
- गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का तेजी से कार्यान्वयन।
- सीमा शुल्क निकासी को सुव्यवस्थित करना।
- श्रम कानून सुधार और कार्यबल कौशल
- श्रम संहिताओं का पूर्ण कार्यान्वयन।
- स्किल इंडिया और PMKVY कार्यक्रमों का विस्तार।
- MSME पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन
- डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से ऋण संवितरण में सुधार।
- स्थानीय घटक निर्माण को समर्थन।
- बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण
- औद्योगिक गलियारे परियोजनाओं में तेजी लाना।
- उच्च गति रेल माल ढुलाई प्रणालियों का एकीकरण।
- उच्च तकनीक विनिर्माण और अनुसंधान एवं विकास
- लक्षित अनुसंधान एवं विकास वित्त पोषण।
- पेटेंट संरक्षण और प्रौद्योगिकी अंतरण नीतियों को मजबूत करना।
आगे की राह
- भारत की विनिर्माण वृद्धि नीतिगत सुधारों, बुनियादी ढांचे के उन्नयन और तकनीकी प्रगति पर निर्भर करती है।
- ‘वोकल फॉर लोकल, लोकल टू ग्लोबल’ को अपनाना भारत को विश्व स्तरीय विनिर्माण का केंद्र बनाने में मदद करेगा।