- भारत और फ्राँस के बीच सहयोग में वृद्धि हो रही है, विशेष रूप से रक्षा, परमाणु ऊर्जा, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्रों में।
- दोनों देश अमेरिका और चीन के साथ संतुलन बनाते हुए सामरिक स्वायत्तता की दिशा में बढ़ रहे हैं।
सहयोग के प्रमुख क्षेत्र
- असैन्य परमाणु सहयोग:
- भारत और फ्राँस ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए परमाणु ऊर्जा सहयोग को मजबूत कर रहे हैं।
- ध्यान बड़े परमाणु संयंत्रों से हटकर स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) पर केंद्रित है।
- फ्राँस की विशेषज्ञता भारत को 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन में मदद करेगी।
- रक्षा एवं सामरिक साझेदारी:
- संयुक्त सैन्य परियोजनाएँ, प्रौद्योगिकी अंतरण, और समुद्री सहयोग के माध्यम से रक्षा संबंध मजबूत हुए हैं।
- फ्राँस प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता है, जैसे राफेल जेट और स्कॉर्पीन पनडुब्बियाँ।
- अंतरिक्ष और एयरोस्पेस सहयोग:
- उपग्रह प्रौद्योगिकी, प्रक्षेपण वाहनों, और जलवायु निगरानी में फ्राँस का दीर्घकालिक सहयोग है।
- संयुक्त उपग्रह मिशन और अनुसंधान पर काम चल रहा है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और नवाचार:
- दोनों देश नैतिक AI विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
- हाल ही में भारत-फ्राँस AI रोडमैप का अनावरण किया गया है।
- हिंद-प्रशांत सुरक्षा और समुद्री सहयोग:
- फ्राँस भारत के स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था के दृष्टिकोण के साथ संरेखित है।
- दोनों देश संयुक्त नौसैनिक अभ्यास करते हैं।
- आर्थिक और व्यापारिक संबंध:
- फ्राँस भारत का एक बड़ा यूरोपीय निवेशक है, विशेषकर उच्च तकनीक और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में।
- भारत-फ्राँस व्यापार सत्र 2023-24 में 13.38 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
- नवीकरणीय ऊर्जा और हरित प्रौद्योगिकियाँ:
- दोनों देश जलवायु कार्रवाई और अक्षय ऊर्जा पर मिलकर काम कर रहे हैं।
- फ्राँस भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन में तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है।
- शिक्षा और सांस्कृतिक समन्वय:
- फ्राँस भारतीय छात्रों के लिए एक प्रमुख यूरोपीय गंतव्य है।
- युवा पेशेवर योजना (YPS) गतिशीलता को बढ़ाने का प्रयास कर रही है।
टकराव के प्रमुख क्षेत्र
- रक्षा खरीद में विलंब:
- भारत के रक्षा सौदों में अक्सर प्रशासनिक विलंब और लागत वृद्धि होती है।
- असैन्य परमाणु ऊर्जा बाधाएँ:
- जैतापुर परमाणु संयंत्र जैसे परियोजनाएँ उच्च लागत और कानूनी अस्पष्टताओं से प्रभावित हैं।
- व्यापार असंतुलन:
- उच्च टैरिफ और नियामक बाधाएँ व्यापार में टकराव उत्पन्न करती हैं।
- AI और डेटा विनियमन पर असहमति:
- डेटा गोपनीयता और डिजिटल विनियमन पर मतभेद बने हुए हैं।
- आव्रजन और आवागमन प्रतिबंध:
- वीज़ा प्रतिबंध और कार्य परमिट सीमाएँ भारतीय छात्रों और पेशेवरों के लिए चुनौतियाँ हैं।
निष्कर्ष
- भारत-फ्राँस साझेदारी एक व्यापक रणनीतिक गठबंधन के रूप में विकसित हो रही है।
- सामरिक स्वायत्तता, हरित ऊर्जा निवेश, और AI गवर्नेंस को सुदृढ़ करना इस साझेदारी को और मज़बूत कर सकता है।
मुख्य परीक्षा उत्तर लेखन हेतु अभ्यास प्रश्न
बदलती वैश्विक भू-राजनीति के बीच, सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों, ऐतिहासिक संदर्भ और इस साझेदारी में आने वाली चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत-फ्रांस संबंधों के महत्व का विश्लेषण करें। (200 शब्द)