- फिनटेक क्रांति: भारत की फिनटेक क्रांति ने पारंपरिक बैंकिंग को दरकिनार करते हुए मोबाइल-फर्स्ट वित्तीय समाधानों की ओर संक्रमण को संभव बनाया है।
- वैश्विक नेतृत्व: यह मॉडल उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक ब्लूप्रिंट के रूप में कार्य करता है, लेकिन वैश्विक फिनटेक नेता बनने के लिए प्रमुख चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है।
विकास के चरण
- प्रारंभिक चरण (2000 से पूर्व):
- कोर बैंकिंग समाधान (CBS) और IT संचालित सेवाओं पर निर्भरता।
- एटीएम, NEFT, RTGS और इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सेवाओं की शुरूआत।
- विकास चरण (2000-2015):
- 2009: आधार का शुभारंभ।
- 2010: NPCI द्वारा IMPS की शुरूआत।
- 2014: प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) का शुभारंभ।
- त्वरण चरण (2016–2020):
- 2016: विमुद्रीकरण से डिजिटल लेनदेन में वृद्धि।
- 2016: UPI का लॉन्च, जो रियल टाइम में धन अंतरण की सुविधा देता है।
- वर्तमान चरण (2020-वर्तमान):
- कोविड-19 महामारी के दौरान डिजिटल बैंकिंग और संपर्क रहित भुगतान का विस्तार।
- 2021: अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क का लॉन्च।
फिनटेक विकास के प्रमुख चालक
- डिजिटल अंगीकरण: 80 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता; स्मार्टफोन का प्रचलन लगभग 88%।
- सरकारी पहल: डिजिटल इंडिया और JAM ट्रिनिटी का प्रभाव; 54.58 करोड़ जन धन खाते खोले गए।
प्रमुख मुद्दे
- विनियामक अनिश्चितता: तेजी से बदलते विनियामक वातावरण में चुनौतियाँ।
- साइबर सुरक्षा जोखिम: 2023 में भुगतान धोखाधड़ी में 65% की वृद्धि।
- उच्च ग्राहक अधिग्रहण लागत: प्रतिस्पर्धा और कैशबैक पर निर्भरता।
सुधार के उपाय
- नियामक ढाँचा: एकीकृत और गतिशील नियामक ढाँचे की स्थापना।
- डेटा सुरक्षा: डेटा गोपनीयता और साइबर सुरक्षा को मजबूत करना।
- फिनटेक फंडिंग: सरकारी-निजी साझेदारी द्वारा फिनटेक वेंचर फंड का गठन।
आगे की राह
- भारत की फिनटेक क्रांति ने वित्तीय समावेशन को पुनः परिभाषित किया है। डेटा सुरक्षा, प्रतिस्पर्धा और वैश्विक साझेदारी को बढ़ाना आवश्यक है। एक संतुलित दृष्टिकोण भारत को वैश्विक फिनटेक पावरहाउस के रूप में स्थापित कर सकता है।