- यह लेख द हिंदू बिजनेस लाइन में प्रकाशित एक लेख पर आधारित है, जिसमें भारत में महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी में वृद्धि को दर्शाया गया है।
- विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में किशोर लड़कियों और वृद्ध महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, लेकिन यह आर्थिक आवश्यकता के कारण है, न कि वास्तविक सशक्तीकरण के कारण।
प्रमुख बिंदु
श्रम शक्ति भागीदारी में वृद्धि
- महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी: ग्रामीण क्षेत्रों में यह भागीदारी 18.2% से बढ़कर 35.5% हो गई है।
- यह वृद्धि आर्थिक आवश्यकता के कारण हुई है, जो सशक्तीकरण की बजाय मजबूरी को दर्शाती है।
सुधारक तत्व
- कल्याणकारी योजनाएँ:
- उज्ज्वला योजना (निशुल्क LPG कनेक्शन) और हर घर जल (नल जल) ने घरेलू बोझ को कम किया।
- उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों की कुल रिफिल्स 2018-19 में 159.9 मिलियन से बढ़कर 2022-23 में 344.8 मिलियन हो गई हैं।
- सरकारी योजनाओं के अंतर्गत रोजगार:
- मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी 54.54% थी।
- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने 9.89 करोड़ महिलाओं को सशक्त किया।
- घटती प्रजनन दर:
- प्रजनन दर 2.0 (NFHS-5, 2021) तक गिर गई है, जिससे महिलाओं पर बच्चों के पालन का बोझ कम हुआ है।
- शिक्षा और साक्षरता में सुधार:
- महिला साक्षरता अब 77% है, जिससे उनकी रोजगार क्षमता बढ़ी है।
- स्वरोजगार और उद्यमिता:
- प्रधानमंत्री जन धन योजना में 55% खाताधारक महिलाएँ हैं।
- प्रौद्योगिकी और डिजिटलीकरण:
- इंटरनेट पहुँच में वृद्धि से महिलाएँ गिग और रिमोट वर्क में भाग ले रही हैं।
- सहायक कानूनी ढाँचे:
- मातृत्व लाभ अधिनियम और POSH अधिनियम ने महिलाओं को कार्यबल में बनाए रखने में मदद की है।
संरचनात्मक चुनौतियाँ
- लैंगिक सामाजिक मानदंड: पारंपरिक मानदंड महिलाओं को घरेलू भूमिकाओं तक सीमित रखते हैं।
- अवैतनिक देखभाल कार्य का बोझ: महिलाओं पर घरेलू काम का भार अधिक है।
- संरचनात्मक अनौपचारिकता: अधिकांश महिलाएँ अनौपचारिक नौकरियों में कार्यरत हैं, जिससे वेतन में असमानता है।
- कमज़ोर नीतियों का कार्यान्वयन: मातृत्व लाभ और अन्य नीतियों का सही ढंग से कार्यान्वयन नहीं हो रहा।
सशक्तीकरण के उपाय
- कौशल विकास: महिलाओं के लिए उभरते क्षेत्रों में कौशल विकास कार्यक्रम विकसित करना।
- बाल देखभाल सुविधाएँ: किफायती और सुलभ क्रेच सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
- ऋण तक पहुँच: महिलाओं के लिए औपचारिक ऋण सुविधाओं का विस्तार करना।
- सुरक्षित बुनियादी ढाँचा: महिलाओं की गतिशीलता के लिए सुरक्षित परिवहन और स्वच्छता सुविधाएँ।
- कार्यस्थल नीतियाँ: लचीली कार्य नीतियाँ और मातृत्व अवकाश को लागू करना।
- नेतृत्व में प्रतिनिधित्व: महिलाओं को नेतृत्व भूमिकाओं में प्रशिक्षित करना।
आगे की राह
- ग्रामीण भारत में महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी में वृद्धि प्रगति और चुनौतियों दोनों को दर्शाती है।
- वास्तविक लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए शिक्षा, कौशल और कार्य स्थितियों में सुधार आवश्यक है।