- संदर्भ: यह लेख असम में दीमा हसाओ कोयला खनन त्रासदी पर आधारित है, जो अवैध कोयला खनन के मुद्दे को उजागर करता है।
- मुख्य विषय: भारत में पर्यावरण नियमों और उनके प्रवर्तन के बीच का अंतर।
प्रमुख पर्यावरण नियम
- संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 48A: राज्य को पर्यावरण की रक्षा का निर्देश।
- अनुच्छेद 51A(g): नागरिकों का पर्यावरण संरक्षण का मौलिक कर्तव्य।
- अनुच्छेद 21: स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार।
- प्रदूषण नियंत्रण कानून:
- जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974: जल प्रदूषण को नियंत्रित करता है।
- वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981: वायु प्रदूषण को रोकने के लिए।
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986: केंद्र सरकार को पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम उठाने का अधिकार देता है।
- वन और वन्यजीव संरक्षण:
- वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980: वन भूमि का गैर-वनीय उपयोग प्रतिबंधित करता है।
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: वन्यजीवों और जैव विविधता के संरक्षण पर केंद्रित है।
प्रमुख चुनौतियाँ
- कमज़ोर प्रवर्तन तंत्र:
- 6% से अधिक उद्योग पर्यावरण मानकों को पूरा नहीं करते।
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास धन की कमी और अधूरी कर्मचारी संख्या।
- विकास और संरक्षण के बीच संघर्ष:
- आर्थिक विकास की प्राथमिकता से पर्यावरणीय नियमों में ढील।
- 2023 में भारत को पर्यावरण प्रदर्शन में सबसे निचले स्थान पर रखा गया।
- अपर्याप्त सार्वजनिक भागीदारी:
- स्थानीय समुदायों की निर्णय लेने में भूमिका का अभाव।
- EIA के तहत सार्वजनिक परामर्श सतही या नजरअंदाज किया जाता है।
- प्रौद्योगिकी का कम उपयोग:
- उन्नत निगरानी तकनीकों का उपयोग सीमित।
- 4,041 शहरों में केवल 476 में वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन हैं।
सुधार के उपाय
- प्रवर्तन तंत्र को मजबूत करना:
- केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सशक्त बनाना।
- AI-आधारित सेंसर और ड्रोन निगरानी का उपयोग।
- कार्बन क्रेडिट मार्केट को बढ़ावा देना:
- घरेलू कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग मार्केट विकसित करना।
- उच्च प्रदूषण वाले क्षेत्रों के लिए कार्बन ऑफसेट को अनिवार्य बनाना।
- जलवायु-अनुकूल अवसंरचना:
- पर्यावरणीय ऑडिट और हरित विकल्पों में निवेश करना।
- हिमालयी और तटीय क्षेत्रों में आपदा-रोधी बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता देना।
- EIA प्रक्रिया में सुधार:
- पारदर्शिता और सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देना।
- संवेदनशील क्षेत्रों में संचित प्रभाव आकलन लागू करना।
आगे की राह
- भारत को पर्यावरण नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- प्रौद्योगिकी, पारदर्शिता और स्थानीय समुदायों के सशक्तीकरण के माध्यम से सुधार आवश्यक हैं।