- इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम: भारत का इथेनॉल-मिश्रण कार्यक्रम ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने और कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
- चुनौतियाँ: फीडस्टॉक की कमी, जल-गहन उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला की अक्षमताएँ प्रमुख समस्याएँ हैं।
इथेनॉल मिश्रण क्या है?
- परिभाषा: इथेनॉल, जो पादप स्रोतों से प्राप्त जैव ईंधन है, को पेट्रोल के साथ मिलाकर एक स्वच्छ और संधारणीय ईंधन बनाने की प्रक्रिया है।
- उत्पादन स्रोत: मुख्यतः गन्ना, गुड़, मक्का, चावल और अन्य बायोमास।
सरकारी पहल
- EBP कार्यक्रम: 2003 में शुरू किया गया, जिससे इथेनॉल के उपयोग को बढ़ावा दिया गया।
- महत्वपूर्ण योजनाएँ:
- PM-JI-VAN योजना: कृषि अपशिष्ट से दूसरी पीढ़ी के इथेनॉल का समर्थन।
- राष्ट्रीय जैव-ऊर्जा कार्यक्रम: जैव ईंधन का प्रचार।
- ब्याज अनुदान योजना: इथेनॉल संयंत्रों के लिए वित्तीय सहायता।
वर्तमान स्थिति और लक्ष्य
- 10% का लक्ष्य: 2022 में समय से पहले पूरा हुआ।
- भविष्य का लक्ष्य: 2025 तक 20% इथेनॉल मिश्रण, वर्तमान में 2024 में 15%।
भारत के लिए लाभ
- ऊर्जा सुरक्षा: 87% कच्चे तेल का आयात, इथेनॉल मिश्रण से आत्मनिर्भरता बढ़ी।
- विदेशी मुद्रा की बचत: ₹1.1 ट्रिलियन।
- कार्बन उत्सर्जन में कमी: 544 लाख मीट्रिक टन CO₂ की कटौती।
- आर्थिक विकास: किसानों को ₹87,558 करोड़ का भुगतान, ग्रामीण रोजगार में वृद्धि।
प्रमुख मुद्दे
- जल-गहन उत्पादन: गन्ने पर निर्भरता के कारण जल संकट।
- खाद्य सुरक्षा: खाद्यान्नों का अधिक उपयोग और मुद्रास्फीति।
- सीमित उत्पादन क्षमता: 20% लक्ष्य के लिए अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा।
- प्रौद्योगिकी चुनौतियाँ: E20 और उसके आगे के लिए इंजन डिज़ाइन में बदलाव की आवश्यकता।
समाधान
- फीडस्टॉक विविधीकरण: मक्का, ज्वार और कृषि अपशिष्ट का उपयोग बढ़ाना।
- विकेंद्रीकृत उत्पादन: ग्रामीण क्षेत्रों में लघु-स्तरीय डिस्टिलरी।
- वाहन अनुकूलता: E20-संगत वाहनों का प्रोत्साहन।
- निवेश में वृद्धि: इथेनॉल अवसंरचना विकास कोष की स्थापना।
आगे की राह
भारत की इथेनॉल-मिश्रण पहल में ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने की अपार संभावनाएँ हैं। 2025 तक 20% मिश्रण लक्ष्य को हासिल करने के लिए चुनौतियों का समाधान आवश्यक है।