- भारत की क्षमता: भारत ने कोर तकनीकों जैसे रमन प्रभाव से लेकर आधुनिक सेमीकंडक्टर तकनीक तक कई महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों का विकास किया है।
- व्यावसायीकरण की चुनौतियाँ: भारत को इन नवाचारों को व्यावसायिक सफलता में बदलने में लगातार मुश्किलें आ रही हैं।
कोर टेक्नोलॉजी का महत्व
परिभाषा
- कोर टेक्नोलॉजी: आधारभूत और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियाँ जो नवाचार की रीढ़ बनाती हैं और विकास को गति प्रदान करती हैं।
विशेषताएँ
- आधारभूत प्रकृति: अन्य प्रौद्योगिकियों के लिए आधारशिला।
- व्यापक प्रयोज्यता: रक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और विनिर्माण में उपयोग।
- सामरिक महत्त्व: आर्थिक, सैन्य और भू-राजनीतिक शक्ति पर प्रभाव।
मुख्य प्रौद्योगिकियों के उदाहरण
- सेमीकंडक्टर्स: इलेक्ट्रॉनिक्स और AI में उपयोग।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): मशीन लर्निंग और स्वचालन के लिए।
- क्वांटम कंप्यूटिंग: उन्नत प्रसंस्करण के लिए क्वांटम यांत्रिकी का उपयोग।
- साइबर सुरक्षा: डिजिटल बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा।
भारत के लिए निवेश के लाभ
आर्थिक विकास
- AI और सेमीकंडक्टर्स में निवेश: भारत की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए महत्त्वपूर्ण।
- वैश्विक AI बाजार: 2030 तक $900 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान।
राष्ट्रीय सुरक्षा
- साइबर सुरक्षा: आधुनिक सुरक्षा खतरों से निपटने में महत्वपूर्ण।
- AI-सक्षम उपकरण: वास्तविक नियंत्रण रेखा की निगरानी के लिए।
तकनीकी निर्भरता में कमी
- स्वदेशी अनुसंधान और विकास: सेमीकंडक्टर उत्पादन में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना।
मुख्य प्रौद्योगिकियों के विकास में बाधाएँ
अनुसंधान एवं विकास में कमी
- 0.65% GDP: नवाचार में बाधा।
कुशल कार्यबल की कमी
- 51% स्नातक: रोजगार के लिए तैयार नहीं।
आयात पर निर्भरता
- 95% सेमीकंडक्टर्स: आयात से।
नीतिगत असंगतताएँ
- ब्यूरोक्रेटिक विलंब: निवेश को हतोत्साहित करता है।
कमजोर सहयोग
- शिक्षा जगत और उद्योग के बीच: सीमित साझेदारी।
सुधार के उपाय
अनुसंधान एवं विकास निवेश बढ़ाना
- 2% GDP: अनुसंधान के लिए लक्ष्य।
बुनियादी ढाँचा स्थापित करना
- सेमीकंडक्टर फैब्स और AI लैब्स: विशेष प्रोत्साहन के साथ।
राष्ट्रीय प्रतिभा रणनीति विकसित करना
- कौशल और पुनः कौशल: उद्योग की मांग को पूरा करना।
घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा
- उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों में निवेश: आयात निर्भरता कम करना।
एकीकृत नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण
- अकादमी, स्टार्टअप और उद्योग के बीच सहयोग: नवाचार को बढ़ावा देना।
भारत को अपने कोर तकनीकी विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए व्यावसायीकरण में मौजूद अंतराल को दूर करना होगा। अकादमी, उद्योग और सरकार के बीच मजबूत सहयोग से एक सफल नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण संभव है, जो आर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा, और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा।