- लेख “The balancing China question before India“ पर आधारित है, जो 19 जनवरी 2025 को प्रकाशित हुआ।
- अक्टूबर 2024 में भारत-चीन डिसइंगेजमेंट (सैन्य वापसी) समझौते का उल्लेख।
मुख्य मुद्दे
- चीन का बढ़ता प्रभाव: भारत की रणनीतिक स्थिति को चुनौती।
- आंतरिक सुधारों और वैश्विक भागीदारी पर ध्यान देने की आवश्यकता।
तालमेल के प्रमुख क्षेत्र
- व्यापार और आर्थिक संबंध:
- 2024 में द्विपक्षीय व्यापार 118.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर।
- भारत ने 16.65 बिलियन डॉलर निर्यात और 101.74 बिलियन डॉलर आयात किया।
- अवसंरचना वित्तपोषण:
- एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB) और न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) में सहयोग।
- जलवायु परिवर्तन:
- दोनों देशों ने पेरिस समझौते जैसे मुद्दों पर एकजुटता जताई।
- स्वास्थ्य और फार्मास्युटिकल सहयोग:
- कोविड-19 के दौरान सहयोग की आवश्यकता बढ़ी।
- चीन, भारत की 70% आवश्यक API की आपूर्ति करता है।
- पर्यटन और सांस्कृतिक समन्वय:
- साझा बौद्ध विरासत और शैक्षिक सहयोग से रिश्तों में मजबूती।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
- AI, अंतरिक्ष अनुसंधान और 5G में सहयोग की आवश्यकता।
- क्षेत्रीय स्थिरता:
- आतंकवाद-रोधी प्रयासों में सहयोग।
संघर्ष के प्रमुख क्षेत्र
- सीमा विवाद:
- वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अनसुलझे मुद्दे, जैसे गलवान घाटी संघर्ष।
- व्यापार असंतुलन:
- 2024 में व्यापार घाटा 85 बिलियन अमेरिकी डॉलर।
- चीन का पाकिस्तान के प्रति समर्थन:
- CPEC परियोजना भारत की संप्रभुता का उल्लंघन।
- जल विवाद:
- चीन के बाँध निर्माण से भारत में जल सुरक्षा की चिंताएं।
- साइबर सुरक्षा खतरे:
- चीनी साइबर हमलों और तकनीकी निर्भरता पर चिंता।
संतुलन बनाने के उपाय
- विनिर्माण को मज़बूत करना: घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना।
- हरित ऊर्जा में सहयोग: BRICS जैसे मंचों पर जुड़ना।
- गैर-संवेदनशील क्षेत्रों में संयुक्त उद्यम: ईवी विनिर्माण में साझेदारी।
- कूटनीतिक संपर्क: सीमा पर बुनियादी अवसंरचना का विकास।
- बहुपक्षीय सहयोग: AIIB और SCO जैसे मंचों का लाभ उठाना।
- प्रौद्योगिकी सहयोग: कृषि में AI और अन्य क्षेत्रों में स्वदेशी नवाचार।
भारत को आंतरिक सुधार और वैश्विक भागीदारी को संतुलित करते हुए चीन के साथ संबंधों को मजबूत करना होगा।