ग्लोबल वार्मिंग क्या है? ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले प्रभाव को कम करने के लिये किये जाने वाले प्रयासों में भारत का क्या योगदान है? “निकट भविष्य में पूरा विश्व, इस ग्रह के मानव के द्वारा की जाने वाली गलतियों के कारण, पानी में डूब जाएगा।” उक्त कथन पर अपने विचार स्पष्ट करें। [63वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2017]
ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, और नाइट्रस ऑक्साइड, के बढ़ने से उत्पन्न होने वाली एक गंभीर समस्या है। इन गैसों का वायुमंडल में अधिक मात्रा में होना सूरज की गर्मी को पृथ्वी की सतह पर फंसा देता है, जिससे पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ता है। इसे ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव पृथ्वी के पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र पर गहरे असर डालते हैं। इसके प्रमुख प्रभाव इस प्रकार हैं:
भारत का योगदान ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में
भारत, एक विकासशील देश होने के बावजूद, ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास कर रहा है:
“निकट भविष्य में पूरा विश्व, इस ग्रह के मानव के द्वारा की जाने वाली गलतियों के कारण, पानी में डूब जाएगा।” उक्त कथन पर विचार
यह कथन ग्लोबल वार्मिंग के खतरों और उसके परिणामस्वरूप समुद्र स्तर में वृद्धि के बारे में एक गंभीर चेतावनी है। समुद्र स्तर का बढ़ना, विशेष रूप से ग्लेशियरों और आर्कटिक बर्फ के पिघलने के कारण, तटीय क्षेत्रों के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकता है। यदि इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो कई तटीय शहर और द्वीप जलमग्न हो सकते हैं।
हालांकि, यह कुछ हद तक अतिरेक हो सकता है, लेकिन इसमें सच्चाई है कि अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो मानवता के लिए खतरनाक परिणाम हो सकते हैं। यह कथन उस खतरे को उजागर करता है जो ग्लोबल वार्मिंग के कारण उत्पन्न हो सकता है।
निष्कर्ष
ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुकी है, और इसका मुकाबला करने के लिए विश्वभर में सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। भारत का योगदान सकारात्मक रहा है, लेकिन हमें अभी भी और अधिक सक्रिय उपायों की आवश्यकता है। यदि हम इस दिशा में प्रभावी कदम नहीं उठाते, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए खतरे बढ़ सकते हैं।