किसी भी राष्ट्र के जीवन की गुणवत्ता और स्वास्थ्य का सीधा संबंध भोजन और आहार संबंधी सुरक्षा से होता है। भारत ने उत्पादन, उत्पादकता, खाद्यान्न की उपलब्धता, बागवानी उत्पाद आदि के मामले में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की है। उपर्युक्त परिप्रेक्ष्य में बिहार के कृषि विकास में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर चर्चा कीजिए। [67वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2022]
बिहार में कृषि विकास में प्रौद्योगिकी की भूमिका
भारत में खाद्य सुरक्षा और पोषण का सीधा संबंध कृषि उत्पादन और उत्पादकता से है, और बिहार इसमें एक महत्वपूर्ण योगदान देता है। बिहार राज्य ने कृषि क्षेत्र में विभिन्न प्रौद्योगिकियों को अपनाया है, जो न केवल उत्पादन में वृद्धि कर रही हैं, बल्कि किसानों की जीवन गुणवत्ता को भी सुधार रही हैं। बिहार में कृषि विकास में प्रौद्योगिकी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेषकर जब हम राज्य की कृषि विकास दर को देखें। यहां कुछ प्रमुख पहलुओं पर चर्चा की जा रही है:
1. वर्मी कम्पोस्टिंग और जैविक खेती
2. ड्रिप इरीगेशन और जल प्रबंधन
3. सतत कृषि और पेड़-पौधों का संरक्षण
4. कृषि शिक्षा और प्रशिक्षण
बिहार के कृषि क्षेत्र के लिए प्रौद्योगिकी का महत्व
बिहार कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का उपयोग कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
निष्कर्ष
बिहार में कृषि के विकास में प्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, और राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम जैसे कि वर्मी कम्पोस्टिंग, ड्रिप इरीगेशन, और जैविक खेती ने कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की है। हालांकि, अधिक निवेश और बेहतर प्रौद्योगिकी के उपयोग से बिहार में कृषि क्षेत्र को और अधिक समृद्ध बनाया जा सकता है, जिससे राज्य की खाद्य सुरक्षा में सुधार होगा और किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।