“भारत के राष्ट्रपति की भूमिका परिवार के उस बुजुर्ग के समान है जो सभी प्राधिकार रखता है किन्तु यदि घर के शैतान-युवा सदस्य उसकी न सुनें तो वह कुछ भी प्रभावी नहीं कर सकता है।” मूल्यांकन कीजिए। [66वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2020]
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
भारत के राष्ट्रपति की भूमिका: मूल्यांकन
राष्ट्रपति की भूमिका
भारत के राष्ट्रपति की भूमिका संविधान के अनुसार प्रमुख और सम्मानजनक होती है, लेकिन वह “सामान्य प्रशासन” में सक्रिय रूप से शामिल नहीं होते। राष्ट्रपति का कार्य निर्वाचित सरकार के तहत होता है, जो प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा नियंत्रित होती है। संविधान में राष्ट्रपति को कुछ महत्वपूर्ण शक्तियाँ दी गई हैं, जैसे क़ानूनी दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करना, आपातकाल घोषित करना, और मंत्रिमंडल की सलाह पर निर्णय लेना।
उद्धरण की व्याख्या
इस उद्धरण में राष्ट्रपति की भूमिका की तुलना एक बुजुर्ग व्यक्ति से की गई है, जो परिवार में सम्मानजनक होता है, परंतु यदि परिवार के अन्य सदस्य उसकी बात न सुनें, तो उसकी शक्ति प्रभावी नहीं हो सकती। इसका तात्पर्य है कि राष्ट्रपति की शक्तियाँ संविधान द्वारा निर्धारित हैं, लेकिन वास्तविक कार्यवाही सरकार के कामकाजी मंत्रियों के हाथ में होती है।
संविधान के अनुसार कार्यप्रणाली
निष्कर्ष
राष्ट्रपति की भूमिका अधिकतर सांविधानिक और औपचारिक होती है, जिसमें वह सरकार के कार्यों को मंजूरी देते हैं, लेकिन असल निर्णय लेने की शक्ति उनके पास नहीं होती। जैसे परिवार के बुजुर्ग सदस्य की स्थिति होती है, वही स्थिति राष्ट्रपति की होती है, जहां उनके पास शक्ति तो होती है, लेकिन प्रभावी कार्यवाही के लिए उन्हें सरकार की सलाह और समर्थन की आवश्यकता होती है।