प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 06 अंक का है। [MPPSC 2019]
क्या बुद्ध के ‘अष्टांगिक मार्ग’ लोक सेवकों के लिए नैतिक मार्गदर्शक हो सकते हैं ? टिप्पणी कीजिए ।
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क्या बुद्ध का ‘अष्टांगिक मार्ग’ लोक सेवकों के लिए नैतिक मार्गदर्शक हो सकता है?
बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग लोक सेवकों के लिए एक आदर्श नैतिक मार्गदर्शक बन सकता है, क्योंकि यह सेवा, सहानुभूति और सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देता है।
1. सम्यक वाणी
लोक सेवकों को सत्य और सकारात्मक संवाद अपनाना चाहिए। उदाहरण के लिए, वे पारदर्शिता बनाए रख सकते हैं, जिससे जनविश्वास बढ़ता है।
2. सम्यक कर्म
सही कर्म का मतलब है किसी को हानि पहुँचाए बिना कार्य करना। लोक सेवक किसी समुदाय विशेष के अधिकारों की रक्षा करके इसे अमल में ला सकते हैं।
3. सम्यक आजीविका
लोक सेवकों को न्याय और समानता पर आधारित कार्यों का चुनाव करना चाहिए। उदाहरण के लिए, वे ऐसी सेवाओं में काम कर सकते हैं जो समाज के लिए लाभकारी हों।
अष्टांगिक मार्ग नैतिकता को प्राथमिकता देने में सहायक होता है, जो जनता की विश्वासनीयता बनाए रखने में मदद करता है।
क्या बुद्ध का ‘अष्टांगिक मार्ग’ लोक सेवकों के लिए नैतिक मार्गदर्शक हो सकता है?
बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग लोक सेवकों के लिए नैतिकता और दायित्वपूर्ण कार्यों का एक सशक्त मार्गदर्शन प्रदान करता है। यह मार्ग लोक सेवा में शांति, ईमानदारी और सेवा भावना को बढ़ावा देता है।
1. सम्यक दृष्टि
लोक सेवक नीतियों में निष्पक्षता रखें और लाभ-हानि से ऊपर उठकर कार्य करें।
2. सम्यक संकल्प
लोक सेवकों को सेवा भावना और सामाजिक न्याय का संकल्प लेना चाहिए। उदाहरण: निर्णयों में जनता का हित सर्वोपरि रखना।
3. सम्यक वाणी
संचार में ईमानदारी और पारदर्शिता बनाए रखें। इससे जनता का विश्वास बढ़ता है।
4. सम्यक कर्म
कार्यों में अनुशासन और निष्पक्षता होनी चाहिए, जिससे किसी का अहित न हो।
इस प्रकार, अष्टांगिक मार्ग लोक सेवकों को नैतिकता के उच्चतम आदर्शों पर आधारित सेवा प्रदान करने के लिए प्रेरित करता है।