किसी देश की संस्कृति जानने के लिए वहाँ के साहित्य का पूरा अध्ययन नितान्त आवश्यक है । साहित्य किसी देश या जाति के विकास का चिह्न है। साहित्य से किसी भी राष्ट्र के धार्मिक विचारों, सामाजिक संगठन, ऐतिहासिक घटनाचक्र तथा राजनीतिक परिस्थितियों का परिचय मिल जाता है। भारतीय संस्कृति के मूल आधार हमारे साहित्य के अमूल्य ग्रन्थ हैं जिनसे भारत की आन्तरिक एकता का ज्ञान हो जाता है। हमारे देश की बाहरी विविधता भारतीय वांगमय के रूप में बहने वाली विचार और संस्कृति की एकता को ढूँढ़ लेती है। वाङ्गमय की आत्मा एक है; पर वह अनेक रूपों, भाषाओं तथा परिस्थितियों में हमारे सामने आता है।
(i) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए ।
(ii) रेखांकित अंश का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए ।
(iii) गद्यांश का सार-संक्षेप एक-तिहाई शब्दों में लिखिए।
[उत्तर सीमा: 125 शब्द] [UKPSC 2023]
(i) शीर्षक: “साहित्य और संस्कृति का संबंध”
(ii) अभिप्राय: रेखांकित अंश से तात्पर्य है कि भारतीय साहित्य में विविधता के बावजूद, इसकी आत्मा और मूल विचार एक हैं। यह एकता भारत की विविध भाषाओं और परिस्थितियों में प्रकट होती है।
(iii) सार-संक्षेप: किसी देश की संस्कृति को समझने के लिए उसके साहित्य का अध्ययन आवश्यक है। साहित्य उस देश के धार्मिक, सामाजिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक पहलुओं का परिचय देता है। भारतीय संस्कृति के मूल आधार साहित्य के ग्रंथ हैं, जो देश की आंतरिक एकता को दर्शाते हैं। बाहरी विविधताओं के बावजूद, भारतीय साहित्य विचारों और संस्कृति की एकता को प्रस्तुत करता है, जिसमें वाङ्गमय की एकता विभिन्न रूपों में प्रकट होती है।