Write an Essay on any one of the following topics in Hindi OR English Language – [Answer Limit: 700 words, Mark: 75] [UKPSC 2016]
(i) भारत की विदेश नीति का वर्तमान परिदृश्य
Present Scenario of Indian Foreign Policy
(ii) संचार क्रान्ति
Communication Revolution
(iii) शहरीकरण एवं पर्यावरण प्रदूषण की समस्याएँ
Urbanization and Problems of Environmental Pollution
(iv) आतंकवाद की समस्या और समाधान
Problem of Terrorism and its solution
(v) मानवाधिकार के संरक्षण में भारत की भूमिका
Role of India in Protection of Human rights.
भारत की विदेश नीति का वर्तमान परिदृश्य
भारत की विदेश नीति के बदलते आयाम 21वीं सदी में विशेष महत्व रखते हैं। जैसे-जैसे वैश्विक परिदृश्य बदल रहा है, भारत ने भी अपनी विदेश नीति में कई बदलाव किए हैं, ताकि वह एक मजबूत और विश्वसनीय शक्ति के रूप में उभर सके। भारत की विदेश नीति का मूल सिद्धांत शांति, सहयोग, और समानता पर आधारित है। इसके साथ ही, भारत ने अपनी सॉफ्ट पावर और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत किया है, जिससे उसकी वैश्विक छवि और साख में सुधार हुआ है।
विदेश नीति के प्रमुख सिद्धांत
भारत की विदेश नीति मुख्यतः गुटनिरपेक्षता (Non-alignment), वैश्विक शांति (Global peace), और आर्थिक विकास पर आधारित रही है। आज के समय में, भारत अपने रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए प्रमुख देशों के साथ साझेदारी और सहयोग पर बल दे रहा है।
आर्थिक सहयोग और व्यापार
भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण घटक व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना है। भारत ने हाल के वर्षों में रूस, अमेरिका, जापान, और आसियान देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को बढ़ाया है। उदाहरणस्वरूप, भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ा है, और भारत-अमेरिका के बीच व्यापार $100 बिलियन को पार कर चुका है। साथ ही, भारत ने चीन के साथ भी संतुलित व्यापारिक संबंध स्थापित करने की कोशिश की है, हालांकि कुछ चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं।
क्षेत्रीय कूटनीति
भारत अपनी पड़ोसी नीतियों में भी कई महत्वपूर्ण बदलाव कर रहा है। नमामि गंगे और सागरमाला योजना जैसी परियोजनाओं के माध्यम से भारत ने अपने पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश, नेपाल, और श्रीलंका के साथ मजबूत संबंध बनाए हैं। साथ ही, भारत-चीन सीमा विवाद और भारत-पाकिस्तान संबंधों में कूटनीति की अहम भूमिका रही है। हाल ही में गलवान घाटी संघर्ष के बाद, भारत ने अपनी सीमा सुरक्षा को और मजबूत किया है, जबकि कूटनीति के माध्यम से शांति स्थापना पर जोर दिया है।
अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका
भारत ने संयुक्त राष्ट्र, G20, ब्रिक्स, और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी भागीदारी को बढ़ाया है। जलवायु परिवर्तन और वैश्विक स्वास्थ्य संकट जैसे मुद्दों पर भारत की सक्रिय भागीदारी ने उसकी वैश्विक स्थिति को और सशक्त बनाया है। भारत ने COP26 सम्मेलन में 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है, जिससे उसकी जलवायु नेतृत्व की छवि और भी मजबूत हुई है।
चुनौतियाँ और समाधान
हालांकि, भारत की विदेश नीति में कई चुनौतियाँ भी हैं। चीन का बढ़ता प्रभाव, पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण संबंध, और अफगानिस्तान में अस्थिरता भारत के लिए मुख्य चुनौतियाँ बनी हुई हैं। भारत ने हाल ही में क्वाड समूह में शामिल होकर चीन के बढ़ते प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसके अलावा, भारत ने अपने सैन्य सहयोग को भी बढ़ाया है और अमेरिका और फ्रांस के साथ रक्षा संबंध मजबूत किए हैं।
सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति
भारत की विदेश नीति में सॉफ्ट पावर का भी महत्वपूर्ण योगदान है। योग, आयुर्वेद, और भारतीय सिनेमा के माध्यम से भारत ने दुनिया भर में अपने सांस्कृतिक प्रभाव को बढ़ाया है। विदेश मंत्रालय के माध्यम से “नमस्ते इंडिया” जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिससे अन्य देशों के साथ भारत के सांस्कृतिक संबंध और मजबूत हो रहे हैं।
निष्कर्ष
भारत की वर्तमान विदेश नीति एक संतुलन साधने का प्रयास कर रही है, जहाँ वह अपने रणनीतिक और आर्थिक हितों की रक्षा करते हुए वैश्विक मंच पर एक जिम्मेदार शक्ति के रूप में उभर रहा है। चीन और अमेरिका जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा और सहयोग की स्थिति में रहते हुए, भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को बरकरार रखा है। भारतीय विदेश नीति का वैश्विक शांति, आर्थिक विकास, और सार्वजनिक कूटनीति पर आधारित यह दृष्टिकोण आने वाले वर्षों में और भी प्रभावी सिद्ध हो सकता है।