श्री ‘X’ एक वरिष्ठ अध्यापक हैं जो अपने छात्रों में अति लोकप्रिय हैं। वे विद्यालय के बाद छात्रों की प्रायः अतिरिक्त सहायता करते हैं, इसलिये विद्यालय के बाद उनकी कक्षा में छात्रों का आना सामान्य बात है। ‘स्वाति’ नाम की एक विद्यार्थी को उन्होंने कई विषय दो वर्षों से अधिक समय तक पढ़ाए थे। इस अवधि में श्री ‘X’ ने अपने निजी ई-मेल पते से स्वाति के सेलफोन पर संदेश भेजे थे। पहले संदेश के आदान-प्रदान सामान्य थे (जैसे स्वाति से उसके परिवार के बीमार सदस्य का हाल पूछना) अभी हाल में, उस विद्यार्थी ने अपने अध्यापक को अपनी निजी भावनाओं से संबंधित संदेश भेजना प्रारम्भ कर दिया। [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2012]
प्रश्न I: इस परिदृश्य में कौन-से संभावित मुद्दे उठते हैं?
II: इस परिस्थिति को किस प्रकार अध्यापकों की आचार संहिता का उल्लंघन माना जा सकता है?
III: इस प्रकरण के संदर्भ में विवेचना कीजिये कि श्री ‘X’ को क्या करना चाहिये?
इस परिदृश्य में कई संभावित मुद्दे उठते हैं:
प्रश्न I: संभावित मुद्दे
व्यक्तिगत सीमा का उल्लंघन: श्री ‘X’ और स्वाति के बीच संचार का स्तर, विशेषकर भावनात्मक विषयों पर, शिक्षक-छात्र संबंध की सीमाओं को पार कर सकता है।
शक्ति का असामान्य प्रयोग: श्री ‘X’ की स्थिति का दुरुपयोग करके स्वाति पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालने की संभावना है।
प्रोफेशनलिज्म का अभाव: व्यक्तिगत ई-मेल और संदेशों के माध्यम से संपर्क करना शिक्षकीय प्रोफेशनलिज्म के मानकों का उल्लंघन कर सकता है।
प्रश्न II: आचार संहिता का उल्लंघन
शिक्षकों की आचार संहिता में स्पष्ट रूप से छात्र-शिक्षक संबंधों में व्यक्तिगत और पेशेवर सीमाओं का ध्यान रखने का निर्देश होता है। श्री ‘X’ द्वारा निजी ई-मेल से स्वाति के साथ संपर्क करना, विशेषकर भावनात्मक मामलों में, पेशेवर आचार संहिता के खिलाफ है। यह संचार श्री ‘X’ की भूमिका को धुंधला करता है और छात्र के प्रति उसकी जिम्मेदारियों को कमजोर कर सकता है।
प्रश्न III: श्री ‘X’ को क्या करना चाहिए?
सीमाएँ निर्धारित करना: श्री ‘X’ को स्पष्ट रूप से स्वाति को बताना चाहिए कि उनकी भूमिका एक शिक्षक की है और व्यक्तिगत मुद्दों पर चर्चा उचित नहीं है।
पेशेवर संचार साधनों का उपयोग: भविष्य में छात्रों के साथ संपर्क के लिए स्कूल के आधिकारिक ई-मेल या प्लेटफार्म का उपयोग करना चाहिए।
समर्थन का प्रस्ताव: यदि स्वाति को किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता है, तो श्री ‘X’ को उसे उचित शैक्षणिक या काउंसलिंग संसाधनों की ओर मार्गदर्शन करना चाहिए।
अन्य अध्यापकों से चर्चा: इस स्थिति पर चर्चा करने के लिए अपने सहयोगियों या स्कूल के प्रशासन से संपर्क करना चाहिए ताकि उचित दिशा-निर्देश प्राप्त हो सकें।
इस प्रकार, श्री ‘X’ को अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए एक पेशेवर दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।