‘भारत के कृषक मानसून से जुआ खेलते हैं।’ इस कथन का परीक्षण कीजिये। [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2012]
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
“भारत के कृषक मानसून से जुआ खेलते हैं” इस कथन का परीक्षण कई दृष्टिकोणों से किया जा सकता है।
भारत की कृषि मुख्यतः मानसून पर निर्भर है, और इस मौसम की अनिश्चितता किसानों के लिए एक बड़ा जोखिम है।
जलवायु पर निर्भरता: भारतीय कृषि का लगभग 60% क्षेत्र बारिश पर निर्भर करता है। यदि मानसून समय पर या पर्याप्त मात्रा में नहीं आता है, तो फसल उत्पादन प्रभावित होता है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
फसल चयन और जोखिम: किसान अक्सर उन फसलों का चयन करते हैं जो मानसून की स्थिति के अनुसार हों। अगर मानसून की भविष्यवाणी गलत होती है, तो यह निर्णय अत्यधिक जोखिम भरा हो सकता है, जिससे फसलें खराब हो सकती हैं।
आर्थिक असुरक्षा: वर्षा की अनियमितता के कारण किसान कर्ज में डूब जाते हैं। कई किसान ऋण लेकर अधिक उत्पादन करने की कोशिश करते हैं, लेकिन असफलता की स्थिति में उन्हें गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है।
संवेदनशीलता और अनिश्चितता: खेती में जलवायु परिवर्तन और मौसमी पैटर्न के बदलाव भी किसानों की स्थिति को और अधिक असुरक्षित बनाते हैं।
इस प्रकार, यह कथन सही प्रतीत होता है कि भारतीय कृषक मानसून के साथ एक प्रकार का जुआ खेलते हैं। मानसून की अनिश्चितता उनके जीवन और आजीविका पर गहरा प्रभाव डालती है, जिससे उन्हें लगातार जोखिमों का सामना करना पड़ता है। किसानों की यह स्थिति इस बात का संकेत है कि कृषि में समुचित प्रबंधन और जलवायु अनुकूलन की आवश्यकता है।