प्रसंस्करण द्वारा कीमत संवर्धन से क्या अभिप्राय है? क्या इस प्रौद्योगिकी को अपनाने से राज्य में फलोत्पादन को एक लाभप्रद व्यवसाय बनाया जा सकता है। [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2012]
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प्रसंस्करण द्वारा कीमत संवर्धन
प्रसंस्करण द्वारा कीमत संवर्धन का अभिप्राय है कच्चे माल या उत्पादों को प्रसंस्करण और मूल्य वर्धन के माध्यम से अधिक मूल्यवान और बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाना। इसका उद्देश्य कच्चे उत्पादों की कीमत को बढ़ाकर आर्थिक लाभ प्राप्त करना और बाजार में उपलब्धता को बढ़ाना है। उदाहरण के लिए, फल, सब्जियाँ और अनाज को विभिन्न प्रकार से प्रसंस्कृत कर जैम, जूस, पैक्ड खाद्य पदार्थ आदि के रूप में बेचा जाता है, जिससे इनकी कीमत और बाजार में मांग बढ़ती है।
उत्तराखंड में फलोत्पादन और प्रसंस्करण
उत्तराखंड में फलोत्पादन की विशाल क्षमता है, खासकर सेब, आड़ू, जामुन, और किवी जैसे फलों के उत्पादन में। इन फसलों का प्रसंस्करण कच्चे माल के मूल्य को बढ़ाने के साथ-साथ किसानों के लिए आर्थिक लाभ का एक जरिया बन सकता है। उदाहरण के तौर पर, उत्तराखंड में किवी के प्रसंस्करण से जूस और अन्य उत्पादों का निर्माण बढ़ाया गया है, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिल रहा है।
लाभप्रद व्यवसाय बनाने की संभावनाएँ
यदि राज्य में प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी को सही तरीके से अपनाया जाए, तो फलोत्पादन को एक लाभप्रद व्यवसाय में बदला जा सकता है।
निष्कर्ष:
प्रसंस्करण तकनीक का उचित उपयोग उत्तराखंड में फलोत्पादन को एक लाभप्रद व्यवसाय बना सकता है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि और राज्य के आर्थिक विकास में योगदान हो सकता है।