न्यायिक विधायन, भारतीय संविधान में परिकल्पित शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त का प्रतिपक्षी है। इस संदर्भ में कार्यपालक अधिकरणों को दिशा-निर्देश देने की प्रार्थना करने सम्बन्धी, बड़ी संख्या में दायर होने वाली, लोक हित याचिकाओं का न्याय औचित्य सिद्ध कीजिये । (250 words) [UPSC 2020]
न्यायिक विधायन और शक्ति पृथक्करण
परिचय:
न्यायिक विधायन भारतीय संविधान में परिकल्पित शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त का प्रतिपक्षी है।
कार्यपालक अधिकारी को दिशा-निर्देश:
कार्यपालक अधिकारी को न्यायिक विधायन में दिशा-निर्देश देने की प्रार्थना संबंधित है।
लोक हित याचिकाएं:
बड़ी संख्या में दायर होने वाली लोक हित याचिकाएं न्याय के लिए महत्वपूर्ण हैं।
उचित न्याय:
हाल के उदाहरण में, हाईकोर्ट ने विभिन्न मुद्दों पर निर्णय दिया है, जैसे वायरल वीडियो के मामले में जल्दी से न्याय देना।
समाधान:
कार्यपालक अधिकारी को दिशा-निर्देश देने के साथ-साथ, न्यायिक संस्थानों को विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि लोक हित याचिकाओं का वेश्यक और समय-सीमित न्याय सुनिश्चित हो।
निष्कर्ष:
इस प्रकार, न्यायिक विधायन में कार्यपालक अधिकारी को दिशा-निर्देश देने संबंधित बड़ी संख्या में दायर होने वाली लोक हित याचिकाओं का न्याय सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।