बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण स्थान है। व्याख्या कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
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उत्तर प्रदेश का बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण स्थान
1. ऐतिहासिक महत्त्व: उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक दृष्टि से बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में एक केंद्रीय स्थान है। सारनाथ, जो आज उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित है, बौद्ध धर्म के प्रारंभिक और महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक था। यहाँ गौतम बुद्ध ने अपने पहले उपदेश, जिसे धर्म चक्र प्रवर्तन के नाम से जाना जाता है, दिया था। इस घटना ने बौद्ध धर्म के विकास की दिशा तय की।
2. बौद्ध स्थल और स्तूप: उत्तर प्रदेश में बौद्ध धर्म से संबंधित कई महत्वपूर्ण स्थल हैं, जैसे सारनाथ में धर्मराजिका स्तूप, मगध के नालंदा विश्वविद्यालय, और कुशीनगर में बुद्ध की महापरिनिर्वाण की जगह। इन स्थलों पर बौद्ध धर्म के अनुयायी और अध्ययनार्थी विश्वभर से आते हैं।
3. ऐतिहासिक अनुसंधान और उत्खनन: 19वीं और 20वीं सदी में उत्तर प्रदेश में बौद्ध धर्म से संबंधित महत्त्वपूर्ण उत्खनन और अनुसंधान किए गए। जैसे कि अलेक्जेंडर कनिंघम और फ्रांसिस बुकानन के प्रयासों ने बौद्ध स्थलों और स्तूपों की खोज को प्रोत्साहित किया।
4. बौद्ध धर्म के प्रसार में योगदान: उत्तर प्रदेश ने बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1950 के दशक में बौद्ध धर्म को अपनाया और इसके प्रति लोगों को जागरूक किया। उनके प्रयासों से विशेष रूप से दलित समुदाय में बौद्ध धर्म का व्यापक प्रसार हुआ।
5. पर्यटन और सांस्कृतिक महत्व: उत्तर प्रदेश में बौद्ध स्थलों का पर्यटन भी महत्वपूर्ण है। सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा इन स्थलों के संरक्षण और विकास के प्रयास किए गए हैं, जिससे बौद्ध धर्म के प्रचार में योगदान मिला है।
संक्षेप में, उत्तर प्रदेश का बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है। इसके प्रमुख स्थलों और ऐतिहासिक अनुसंधानों ने बौद्ध धर्म को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया है।