हित-विरोधिता से क्या तात्पर्य है ? वास्तविक और संभावित हित-विरोधिताओं के बीच के अंतर को उदाहरणों द्वारा स्पष्ट कीजिए। (150 words) [UPSC 2018]
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
हित-विरोधिता (Conflict of Interest)
परिभाषा: हित-विरोधिता तब उत्पन्न होती है जब किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत स्वार्थ या संबंध उनकी पेशेवर जिम्मेदारियों पर प्रभाव डालते हैं, जिससे निष्पक्षता और निर्णय-प्रक्रिया में बाधा आ सकती है।
वास्तविक हित-विरोधिता
परिभाषा: वास्तविक हित-विरोधिता तब होती है जब किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत स्वार्थ सीधे तौर पर उनके पेशेवर निर्णय या कार्यों को प्रभावित करते हैं।
उदाहरण: एक सरकारी अधिकारी जो ठेके आवंटन का कार्य करता है, वह उस कंपनी का भी हिस्सा है जो ठेके के लिए बोली लगाती है। यहाँ पर उसका व्यक्तिगत स्वार्थ और पेशेवर जिम्मेदारी एक दूसरे के साथ टकराते हैं, जो एक वास्तविक हित-विरोधिता है।
संभावित हित-विरोधिता
परिभाषा: संभावित हित-विरोधिता तब होती है जब कोई स्थिति भविष्य में हित-विरोधिता उत्पन्न कर सकती है, भले ही वर्तमान में ऐसा कोई प्रभाव नहीं दिख रहा हो।
उदाहरण: एक नियामक अधिकारी जो कंपनियों द्वारा आयोजित सम्मेलनों में आमंत्रित होता है। हालांकि वर्तमान में कोई सीधा प्रभाव नहीं है, भविष्य में उसे नियम बनाने या निगरानी में पूर्वाग्रह का सामना करना पड़ सकता है, जिससे संभावित हित-विरोधिता उत्पन्न हो सकती है।
निष्कर्ष: वास्तविक और संभावित हित-विरोधिता के बीच का अंतर समझना पेशेवर नैतिकता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।