प्राचीन भारत में ‘प्रयागराज’ के सांस्कृतिक महत्त्व का वर्णन कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2019]
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1. धार्मिक महत्व: प्रयागराज, जिसे पहले प्रयाग कहा जाता था, गंगा, यमुना, और सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है। इसे तीर्थराज के रूप में माना जाता है। यहां पर कुम्भ मेला का आयोजन होता है, जो हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है। 2023 के कुम्भ मेला में लाखों तीर्थयात्री पहुंचे, जो इस स्थल की धार्मिक महत्वपूर्णता को दर्शाता है।
2. साहित्यिक और ऐतिहासिक महत्व: प्रयागराज का उल्लेख महाभारत और ऋग्वेद में मिलता है, जो इसके प्राचीन सांस्कृतिक महत्व को प्रमाणित करता है। इस स्थल का संबंध प्राचीन हिंदू ग्रंथों और इतिहास से जुड़ा हुआ है।
3. संस्कृतिक प्रभाव: प्राचीन भारत में, प्रयागराज को एक प्रमुख सांस्कृतिक और शैक्षिक केंद्र के रूप में देखा गया। यहां के प्राचीन मंदिर और गुरुकुल भारतीय संस्कृति और शिक्षा के महत्वपूर्ण स्थल थे।
निष्कर्ष: प्रयागराज का सांस्कृतिक महत्व प्राचीन भारत में धार्मिक, साहित्यिक, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक था, जो इसकी समृद्धि और परंपराओं को दर्शाता है।