देवानन्द पेंशन विभाग में अनुसचिव के रूप में कार्य करते हैं। एक दिन उसके मित्र गुरुदत्त जो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में एक पी.ओ. है, निम्न घटना का जिक्र करते हैं: (200 Words) [UPPSC 2020] पिछले दो वर्षों से सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी श्री अशोक कुमार अपनी मासिक पेंशन का 30% श्रीमती बिंदू चोपड़ा को चेक के माध्यम से हर महीने भुगतान कर रहे हैं। मैंने पाया कि श्रीमती चोपड़ा पेंशन कार्यालय में आपके अधीन कार्य कर रहे अनुभाग अधिकारी श्री प्रेम चोपड़ा की पत्नी हैं। मुझे इसमें संशय लग रहा है कि हो सकता है, यह घूस संबंधी घोआला हो, जिसमें एक वरिष्ठ नागरिक को प्रेम चोपड़ा से पेंशन संबंधी फाइल का निपटारा करने के लिये घूस देने के लिये बाध्य किया जा रहा हो और पत्नी के खाते में घूस जमा करने को विवश किया जा रहा हो। देवानंद, श्री अशोक कुमार के घर जाते हैं और पाते हैं कि वे अल्जाइमर के रोग से ग्रस्त है और सुसंगत उत्तर देने में अक्षम है। निराश देवानन्द सीधे प्रेम चोपड़ा से ही पूछताछ करने लगते हैं। प्रेम चोपड़ा बताते हैं, “श्री अशोक कुमार उसके पिता के मित्र हैं। उनकी न तो कोई संतान है और न ही निश्तेदार, मेरी पत्नी बिन्दू लंबे समय से उनकी देखभाल पुत्री की तरह कर रही हैं। इसलिये श्री अशोक कुमार शुभेच्छा से हमें धन प्रदान कर रहे हैं, जिसेस कि हम अपने पुत्र को कोटा (राजस्थान) में आई.आई.टी. की महंगी कोचिंग करा रहे हैं। यह वैयक्तिक पारिवारिक मामला है और इससे आपका (देवानंद) कोई लेना कोई लेना देना नहीं है”। आप क्या सोचते हैं कि देवानंद ने भयंकर लगती की या वे अपने नैतिक कर्तव्य का निर्वहनकर रहे हैं? तर्कपर्ण उत्तर दीजिये।