सांप्रदायिकता के संदर्भ में राष्ट्र और नागरिकता के प्रत्यय का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
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सांप्रदायिकता के संदर्भ में राष्ट्र और नागरिकता के प्रत्यय का समालोचनात्मक परीक्षण
राष्ट्र और सांप्रदायिकता:
राष्ट्र एक सामाजिक और राजनीतिक इकाई है जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक और जातीय समूह मिलकर एकता का अनुभव करते हैं। लेकिन सांप्रदायिकता इसे चुनौती देती है, जिससे एक ही राष्ट्र में अलग-अलग धार्मिक समूहों के बीच तनाव उत्पन्न हो सकता है। भारत में, सांप्रदायिकता का तात्पर्य विशेष रूप से हिंदू-मुस्लिम विभाजन से है, जो अक्सर राष्ट्र की एकता और समानता को प्रभावित करता है।
नागरिकता और सांप्रदायिकता:
नागरिकता एक व्यक्ति की कानूनी पहचान होती है जो उसे राष्ट्र के अधिकार और कर्तव्यों का हिस्सा बनाती है। सांप्रदायिकता इस अवधारणा को तब चुनौती देती है जब धार्मिक आधार पर नागरिकों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है। सीएए (सिटिज़नशिप अमेंडमेंट एक्ट) 2019 के हालिया विवाद ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उभारा है। इस कानून ने धार्मिक आधार पर नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया, जिससे सांप्रदायिक असंतुलन और भेदभाव की आशंका बढ़ गई।
समालोचनात्मक दृष्टिकोण:
राष्ट्र की संप्रभुता और एकता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि सांप्रदायिकता से दूर रहा जाए। नागरिकता की अवधारणा को धार्मिक विभाजन से अलग रखना चाहिए, ताकि सभी नागरिक समान अधिकार और सम्मान प्राप्त कर सकें। सांप्रदायिकता के प्रभाव को रोकने के लिए समाजिक और कानूनी उपायों की आवश्यकता है, ताकि एक सशक्त और समान राष्ट्र का निर्माण किया जा सके।