चर्चा कीजिए कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिए किए जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइए । (150 words) [UPSC 2021]
उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण का मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान
उभरती प्रौद्योगिकियाँ: डिजिटल मुद्राएँ और क्रिप्टोकरेंसी मनी लॉन्ड्रिंग को सरल बनाती हैं, क्योंकि ये गुमनामी और कम विनियमन प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, बिटकॉइन नेटवर्क का उपयोग अवैध धन को ट्रांसफर करने के लिए किया गया है। फिनटेक नवाचार जैसे पियर-टू-पियर लेंडिंग प्लेटफॉर्म भी सीमा पार लेन-देन की सुविधा प्रदान करते हैं, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियाँ बढ़ जाती हैं।
वैश्वीकरण: वैश्विक वित्तीय प्रणाली के आपसी जुड़ाव से अवैध धन सीमाओं को पार करना आसान हो जाता है। ऑफशोर वित्तीय केंद्र और टैक्स हेवन्स जैसे स्थल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए सुरक्षित स्थान प्रदान करते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय नियमों में भिन्नताओं का लाभ उठाते हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के उपाय
राष्ट्रीय उपाय: देशों को वित्तीय संस्थानों के लिए नियम और अनुपालन आवश्यकताओं को सख्त करना चाहिए। उदाहरण के लिए, भारत का मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) और हालिया सुधार जैसे डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट इन समस्याओं को संबोधित करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय उपाय: फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जैसी संगठनों के माध्यम से सहयोग महत्वपूर्ण है। FATF के वैश्विक मानक और सिफारिशें एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग प्रथाओं को मानकीकृत करती हैं। हाल की पहलों में EU का एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग डायरेक्टिव और G20 के एक्शन प्लान शामिल हैं, जो पारदर्शिता और सीमा पार जानकारी साझा करने में सुधार लाने के लिए हैं।
ये संयुक्त प्रयास राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग की बढ़ती चुनौती का मुकाबला करने के लिए आवश्यक हैं।