भारत में भू-अभिलेखों के आधुनिकीकरण का क्या महत्व है? इस आलोक में राष्ट्रीय जेनेरिक दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (NGDRS) की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
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भारत में भू-अभिलेखों के आधुनिकीकरण का महत्व अत्यंत व्यापक है। देश की बढ़ती आबादी और तेजी से हो रहे शहरीकरण के चलते भूमि के उपयोग, स्वामित्व और अधिकारों की पारदर्शी एवं सटीक जानकारी की आवश्यकता बढ़ गई है। भू-अभिलेखों का आधुनिकीकरण न केवल भूमि विवादों को कम करता है, बल्कि भूमि स्वामित्व की प्रक्रिया को भी सरल और पारदर्शी बनाता है। यह किसानों, भूमिहीनों और अन्य हितधारकों के लिए भी लाभकारी है, क्योंकि उन्हें उनके भूमि अधिकारों के संबंध में सटीक जानकारी और सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सकता है।
भू-अभिलेखों के आधुनिकीकरण के इस संदर्भ में राष्ट्रीय जेनेरिक दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (NGDRS) एक महत्वपूर्ण पहल है। NGDRS का उद्देश्य देश भर में भूमि और संपत्ति पंजीकरण प्रक्रियाओं को एकीकृत और सुव्यवस्थित करना है।
NGDRS की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
एकीकृत मंच: NGDRS सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक सामान्य सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म प्रदान करता है, जिससे भूमि और संपत्ति पंजीकरण की प्रक्रिया को एकरूप और पारदर्शी बनाया जा सके।
डिजिटल अभिलेख: इस प्रणाली के माध्यम से दस्तावेजों का डिजिटलीकरण किया जाता है, जिससे भूमि के रिकॉर्ड सुरक्षित और आसानी से उपलब्ध होते हैं।
ऑनलाइन सेवाएँ: NGDRS ऑनलाइन पंजीकरण, शुल्क भुगतान, दस्तावेज सत्यापन जैसी सुविधाएँ प्रदान करता है, जिससे प्रक्रिया सरल और समय की बचत होती है।
भ्रष्टाचार में कमी: यह प्रणाली मानव हस्तक्षेप को कम करके भ्रष्टाचार को नियंत्रित करती है और प्रक्रियाओं की पारदर्शिता को बढ़ावा देती है।
डेटा का आपसी उपयोग: NGDRS विभिन्न सरकारी विभागों के बीच डेटा साझा करने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे नीतियों और योजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी आती है।
भू-अभिलेखों का आधुनिकीकरण और NGDRS जैसे प्रयास भूमि प्रबंधन में सुधार के लिए आवश्यक हैं, जिससे भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।