सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रौद्योगिकी के माध्यम से आधुनिकीकरण और सुधार योजना (SMART-PDS) में भारत हेतु खाद्य सुरक्षा से परे जाते हुए वृहद् परिवर्तनकारी क्षमता विद्यमान है। विवेचना कीजिए।(250 शब्दों में उत्तर दें)
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स्मार्ट-PDS (सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रौद्योगिकी के माध्यम से आधुनिकीकरण और सुधार योजना) भारत में खाद्य सुरक्षा से परे वृहद् परिवर्तनकारी क्षमता रखती है। यह योजना सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में डिजिटल तकनीक और डेटा विश्लेषण का उपयोग कर पारदर्शिता, कुशलता, और जवाबदेही को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखती है, जो विभिन्न क्षेत्रों में सुधार ला सकती है।
खाद्य सुरक्षा: स्मार्ट-PDS का प्राथमिक लक्ष्य है कि खाद्यान्न वितरण में भ्रष्टाचार और लीकेज को कम किया जाए। बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण और ई-पॉस मशीनों के माध्यम से सुनिश्चित किया जा सकता है कि सही लाभार्थी को उसका अधिकार मिले, जिससे खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ बनाया जा सकेगा।
सामाजिक न्याय: डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग से सभी वर्गों तक समान रूप से खाद्यान्न पहुंचाना सुनिश्चित किया जा सकता है। यह योजना गरीब और हाशिए पर रहने वाले वर्गों के सशक्तिकरण में सहायक हो सकती है, जिससे सामाजिक असमानताओं को कम किया जा सकेगा।
आर्थिक दक्षता: डिजिटलाइजेशन से वितरण प्रणाली में लागत कम होगी और संसाधनों का अधिकतम उपयोग संभव होगा। इससे सरकार के राजस्व की बचत होगी, जिसे अन्य सामाजिक कल्याण योजनाओं में निवेश किया जा सकता है।
ग्रामीण विकास: स्मार्ट-PDS ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी ढांचे का विकास भी करेगा, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा। इससे डिजिटल साक्षरता बढ़ेगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं।
वृहद् प्रभाव: स्मार्ट-PDS के तहत एकीकृत डिजिटल प्लेटफार्म से न केवल खाद्य वितरण, बल्कि अन्य सरकारी सेवाओं को भी जोड़ा जा सकता है। इससे कल्याणकारी योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन हो सकता है और लाभार्थियों को अनेक सेवाओं का समग्र लाभ मिल सकता है।
इस प्रकार, स्मार्ट-PDS खाद्य सुरक्षा से आगे बढ़ते हुए भारत में सामाजिक, आर्थिक, और डिजिटल परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।