जलविद्युत दुनिया भर में निम्न कार्बन उत्सर्जन वाली ऊर्जा आपूर्ति का एक प्रमुख स्रोत है, लेकिन भारत के कुल इलेक्ट्रिसिटी मिक्स में इसकी हिस्सेदारी बहुत कम बनी हुई है। चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
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जलविद्युत, जोकि कम कार्बन उत्सर्जन वाली ऊर्जा का स्रोत है, दुनिया भर में ऊर्जा आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत में, जलविद्युत का उत्पादन क्षमता लगभग 145 GW है, जो देश की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का लगभग 12-13% है। हालांकि, भारत के कुल इलेक्ट्रिसिटी मिक्स में जलविद्युत की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है।
इसकी वजहें कई हैं। जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण में बड़ी प्रारंभिक लागत, दीर्घकालिक निर्माण समय, और पर्यावरणीय चिंताएं प्रमुख बाधाएं हैं। इसके अलावा, बांधों के निर्माण से स्थानीय समुदायों का विस्थापन और पारिस्थितिकीय असंतुलन भी एक चुनौती है।
भारत के तेजी से बढ़ते ऊर्जा मांग को देखते हुए, सरकार सौर और पवन ऊर्जा जैसे अन्य नवीकरणीय स्रोतों पर अधिक ध्यान दे रही है, जिससे जलविद्युत की हिस्सेदारी सीमित रह गई है। इस स्थिति में सुधार के लिए छोटे जलविद्युत परियोजनाओं का विकास और बेहतर प्रबंधन की आवश्यकता है।
जलविद्युत ऊर्जा, कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन भारत के कुल इलेक्ट्रिसिटी मिक्स में इसकी हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है। भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में जलविद्युत की हिस्सेदारी लगभग 12% है, जबकि अन्य नवीकरणीय स्रोत जैसे कि सौर और पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है।
इसकी एक प्रमुख वजह है जलविद्युत परियोजनाओं की उच्च लागत और लंबा निर्माण समय। इसके अलावा, कई क्षेत्रों में नदी प्रवाह की अस्थिरता और पर्यावरणीय चिंताओं के कारण परियोजनाओं की शुरुआत में रुकावटें आती हैं।
वहीं, पर्यावरणीय प्रभाव और स्थानीय समुदायों पर असर के चलते विरोध भी होता है। भारत सरकार ने जलविद्युत को प्रमुख नवीकरणीय स्रोत के रूप में मान्यता दी है, लेकिन इसके विकास में सुधार की आवश्यकता है ताकि यह ऊर्जा मिक्स में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके।