‘स्वच्छ ऊर्जा आज की ज़रूरत है।’ भू-राजनीति के सन्दर्भ में, विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय मंचों में जलवायु परिवर्तन की दिशा में भारत की बदलती नीति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए । (250 words) [UPSC 2022]
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
भू-राजनीति के सन्दर्भ में भारत की बदलती जलवायु नीति
1. नीति में परिवर्तन
भारत की जलवायु परिवर्तन नीति ने समय के साथ महत्वपूर्ण बदलाव देखा है। प्रारंभ में विकास पर ध्यान केंद्रित करने के बावजूद, भारत ने अब जलवायु क्रिया को अपनी नीति का केंद्रीय हिस्सा बना लिया है। यह बदलाव अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भूमिका और वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
2. प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मंच और प्रतिबद्धताएँ
पेरिस समझौता: 2015 में पेरिस समझौते के तहत, भारत ने कार्बन उत्सर्जन में कमी और नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जताई। इसके तहत, भारत ने 2030 तक 2005 के स्तरों से उत्सर्जन तीव्रता को 33-35% घटाने और अपनी ऊर्जा जरूरतों का 50% नवीकरणीय स्रोतों से पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया।
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP): COP बैठकों में, भारत ने “सामान्य लेकिन विभाजित जिम्मेदारियाँ” के सिद्धांत पर जोर दिया, जिसमें विकासशील देशों के लिए वित्तीय और प्रौद्योगिकी सहायता की आवश्यकता की बात की। भारत ने विकसित देशों से अधिक जिम्मेदारी की अपील की है, और विकासशील देशों को सहायता प्रदान करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
G20 सम्मेलन: G20 मंच पर, भारत ने वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के समर्थन के साथ-साथ घरेलू विकास के मुद्दों को भी उठाया। भारत ने स्थायी विकास और हरी वित्त व्यवस्था को प्रोत्साहित किया, और वैश्विक हरी अर्थव्यवस्था में नेतृत्व की दिशा में कदम बढ़ाए।
3. भू-राजनीतिक प्रभाव
रणनीतिक साझेदारियाँ: भारत की जलवायु नीतियों ने अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे देशों के साथ रणनीतिक साझेदारियाँ मजबूत की हैं। स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी और जलवायु वित्त में सहयोग ने भारत को वैश्विक जलवायु कार्यों में एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया है।
क्षेत्रीय प्रभाव: भारत की जलवायु नेतृत्व क्षमता दक्षिण एशिया और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) जैसे क्षेत्रीय मंचों पर भी देखी जाती है। क्षेत्रीय सहयोग और स्वच्छ ऊर्जा पहल को बढ़ावा देने से भारत की क्षेत्रीय और विकासशील देशों में प्रभावशीलता बढ़ी है।
4. घरेलू और वैश्विक प्रभाव
घरेलू नीति एकीकरण: भारत ने राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना और राज्य स्तरीय जलवायु क्रियान्वयन योजनाओं के माध्यम से अपनी जलवायु नीतियों को विकास रणनीतियों के साथ एकीकृत किया है। ये नीतियाँ नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, और जलवायु अनुकूलन पर केंद्रित हैं।
वैश्विक मान्यता: भारत की सक्रिय जलवायु नीति ने वैश्विक मंच पर मान्यता प्राप्त की है, जो उसकी पर्यावरणीय स्थिरता और सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
निष्कर्ष
भारत की बदलती जलवायु नीति भू-राजनीति के संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उसकी सक्रिय भागीदारी और रणनीतिक साझेदारियों ने उसे वैश्विक जलवायु नेतृत्व में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है।