भगत सिंह द्वारा प्रतिपादित ‘क्रान्तिकारी दर्शन’ पर प्रकाश डालिए। (200 Words) [UPPSC 2022]
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
भगत सिंह द्वारा प्रतिपादित ‘क्रान्तिकारी दर्शन’ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो मुख्यतः निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित है:
1. **आत्मनिर्भर क्रांति**: भगत सिंह ने आत्मनिर्भर क्रांति की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका मानना था कि स्वतंत्रता की प्राप्ति और समाज में परिवर्तन के लिए एक सशक्त क्रांतिकारी आंदोलन की आवश्यकता है, जो पूरी तरह से विदेशी शासकों के खिलाफ हो।
2. **सामाजिकवाद और समानता**: वे मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित थे और समाजवादी व्यवस्था की ओर उन्मुख थे। उनका उद्देश्य एक ऐसा समाज स्थापित करना था जहाँ वर्ग भेदभाव समाप्त हो, और सभी लोगों को समान अवसर और अधिकार मिलें।
3. **हिंसात्मक क्रांति**: भगत सिंह ने अहिंसात्मक आंदोलनों के प्रभावी होने पर संदेह किया और क्रांतिकारी हिंसा को समाज में बदलाव लाने का एक वैध माध्यम माना। उनका मानना था कि जब अन्य विकल्प असफल हो जाएं, तो सशस्त्र संघर्ष आवश्यक हो जाता है।
4. **युवाओं की भूमिका**: उन्होंने युवाओं को क्रांतिकारी आंदोलन की अग्रिम पंक्ति में देखा। उनका मानना था कि युवा वर्ग ही समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में सक्षम है और उसे क्रांति की दिशा में प्रेरित किया जाना चाहिए।
5. **धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीयता**: भगत सिंह ने एक धर्मनिरपेक्ष और एकजुट भारत की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें सभी धर्मों और जातियों का समान अधिकार हो।
भगत सिंह का क्रान्तिकारी दर्शन स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी और सामाजिक दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है, जो हिंसा, सामाजिकवाद और युवा सशक्तिकरण पर आधारित था।
भगत सिंह का ‘क्रान्तिकारी दर्शन’
भगत सिंह भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उनका ‘क्रान्तिकारी दर्शन’ मार्क्सवाद, समाजवाद और साम्राज्यवाद-विरोधी विचारों से प्रभावित था। इसके कुछ प्रमुख पहलु हैं:
भगत सिंह के आदर्शों को दर्शाने वाले हालिया उदाहरण:
संक्षेप में, भगत सिंह का ‘क्रान्तिकारी दर्शन’ भारत में सामाजिक और आर्थिक न्याय के लिए चलने वाले चल रहे संघर्ष को प्रेरित और मार्गदर्शित करता है। उनका साम्राज्यवाद-विरोध, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्धता आज भी प्रासंगिक है।