ग्रामीण समुत्थानशक्ति का महत्व
- जनसंख्या का बड़ा हिस्सा: भारत की 65% से अधिक आबादी गाँवों में निवास करती है।
- चुनौतियाँ: अनियमित मानसून, भूजल की कमी, कृषि बाजार में उतार-चढ़ाव और तेजी से बदलती तकनीक।
ग्रामीण विकास के प्रमुख कारक
- बुनियादी अवसंरचना का विकास:
- PM ग्राम सड़क योजना और जल जीवन मिशन ने कनेक्टिविटी और सुविधाओं में सुधार किया।
- पिछले 21 वर्षों में 7 लाख किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कें बनीं।
- डिजिटल समावेशन:
- स्मार्टफोन और एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया।
- 2023 में UPI लेनदेन में 118% की वृद्धि।
- कृषि सुधार:
- PM-किसान और राष्ट्रीय पशुधन मिशन जैसे कार्यक्रमों ने ग्रामीण आय में विविधता लाई।
- जनवरी 2024 तक कृषि में कुल ऋण ₹22.84 लाख करोड़।
- MSME और स्टार्ट-अप का उदय:
- स्टार्टअप इंडिया ग्रामीण कार्यक्रम और मुद्रा योजना ने MSME के विकास को प्रोत्साहित किया।
- कुल MSME में से 31% विनिर्माण क्षेत्र में।
- नवीकरणीय ऊर्जा पहल:
- PM-कुसुम योजना ने ग्रामीण ऊर्जा लागत को कम किया।
- भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता अक्टूबर 2024 तक 203.18 GW।
- स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण:
- आयुष्मान भारत योजना ने स्वास्थ्य परिणामों में सुधार किया।
- 5 करोड़ अस्पताल में भर्ती होने का रिकॉर्ड।
- ग्रामीण पर्यटन:
- ‘देखो अपना देश’ पहल ने पर्यटन के माध्यम से आय के नए स्रोत बनाए।
- महिला सशक्तीकरण:
- NRLM के तहत 8.7 करोड़ महिलाएँ स्वयं सहायता समूहों में शामिल हैं।
ग्रामीण परिदृश्य की प्रमुख समस्याएँ
- कृषि संकट: किसानों की औसत मासिक आय ₹13,661।
- स्वास्थ्य अवसंरचना: केवल 25% ग्रामीण जनसंख्या को आधुनिक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध।
- शैक्षिक असमानता: 43% बच्चे अंग्रेजी पढ़ने में असमर्थ।
- बेरोज़गारी: ग्रामीण बेरोज़गारी दर जून 2024 में 9.3%।
- स्वच्छ जल और स्वच्छता: 67% ग्रामीण परिवारों को नल-जल सुविधा मिली।
- जलवायु परिवर्तन: सूखे और बाढ़ का खतरा बढ़ा।
- सामाजिक असमानताएँ: जाति और लैंगिक भेदभाव की समस्याएँ।
- वित्तीय अपवर्जन: 41% किसान अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर।
विकास और समुत्थान के उपाय
- जलवायु-स्मार्ट कृषि: फसल विविधीकरण और कृषि वानिकी को बढ़ावा देना।
- प्रौद्योगिकी का एकीकरण: ई-ग्राम स्वराज जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से शासन में सुधार।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी: कौशल विकास और बुनियादी अवसंरचना में निजी क्षेत्र की भागीदारी।
- स्थानीय जल प्रशासन: जल संरक्षण परियोजनाओं को लागू करना।
- नवीकरणीय ऊर्जा का विकास: सौर माइक्रो-ग्रिड और बायोगैस संयंत्र स्थापित करना।
- कृषि विपणन सुधार: किसानों के लिए डिजिटल साक्षरता बढ़ाना।
- ग्रामीण परिवहन में सुधार: PMGSY के अंतर्गत सड़क अवसंरचना का विस्तार।
- आपदा प्रबंधन प्रणाली का निर्माण: ग्रामीण समुदायों को प्रशिक्षण और पूर्व चेतावनी प्रणाली से लैस करना।
आगे की राह
भारत में ग्रामीण समुत्थानशक्ति का निर्माण देश के भविष्य के लिए आवश्यक है। इसके लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो बुनियादी अवसंरचना, तकनीकी प्रगति और सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण को एकीकृत करे।