प्रश्न का उत्तर अधिकतम 50 शब्दों/5 से 6 पंक्तियाँ में दीजिए। यह प्रश्न 05 अंक का है। [MPPSC 2023] अरस्तू के अनुसार, आकार एवं पदार्थ की अवधारणा पर चर्चा कीजिए।
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अरस्तू के अनुसार, आकार एवं पदार्थ की अवधारणा अरस्तू की आकार और पदार्थ की अवधारणा उसके दर्शनशास्त्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने इसे "हाइलोमॉर्फिज़्म" के रूप में प्रस्तुत किया, जहाँ 'हायला' (पदार्थ) और 'मॉर्फ' (आकृति) का संयोजन किसी वस्तु का मौलिक स्वरूप बनाता है। 1. पदार्थ (हायला): अरस्तू केRead more
अरस्तू के अनुसार, आकार एवं पदार्थ की अवधारणा
अरस्तू की आकार और पदार्थ की अवधारणा उसके दर्शनशास्त्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने इसे “हाइलोमॉर्फिज़्म” के रूप में प्रस्तुत किया, जहाँ ‘हायला’ (पदार्थ) और ‘मॉर्फ’ (आकृति) का संयोजन किसी वस्तु का मौलिक स्वरूप बनाता है।
1. पदार्थ (हायला): अरस्तू के अनुसार, पदार्थ वह चीज़ है जो किसी भी वस्तु का मौलिक आधार होता है। इसे ‘हायला’ कहा जाता है। यह अनिश्चित और बिना विशेष रूप के होता है। किसी वस्तु का आकार और विशेषताएँ केवल पदार्थ की रूपरेखा (आकृति) द्वारा निर्धारित होती हैं।
उदाहरण:
हाल ही में, नैनो टेक्नोलॉजी में, पदार्थ की मूल संरचना को बदलकर नए गुण प्राप्त किए जाते हैं। उदाहरण के तौर पर, गोल्ड नैनो पार्टिकल्स की आकार और संरचना को बदलकर उन्हें दवा वितरण में प्रयोग किया जा सकता है।
2. आकार (मॉर्फ): आकृति वह तत्व है जो पदार्थ को एक विशिष्ट स्वरूप प्रदान करता है। यह पदार्थ को विशेषता, पहचान और उपयोगिता देता है। अरस्तू के अनुसार, आकार और पदार्थ का संयोजन किसी वस्तु की पहचान बनाता है।
उदाहरण:
आर्किटेक्चर में, आधुनिक इमारतों के डिज़ाइन में विभिन्न आकृतियों का उपयोग किया जाता है जो उनकी कार्यक्षमता और सौंदर्यता को प्रभावित करती हैं। डिजिटल आर्किटेक्चर में, आकार और रूपरेखा के विभिन्न प्रयोगों से नवीन निर्माण तकनीकें विकसित की जा रही हैं।
3. आकार और पदार्थ का संयोजन: अरस्तू ने माना कि आकार और पदार्थ का मिलन ही वस्तु की वास्तविकता को स्थापित करता है। वे इसे ‘सार’ और ‘प्रकृति’ के संयुक्त परिणाम के रूप में देखते थे।
उदाहरण:
ऑरगैनिक फूड्स में, पदार्थ (जैसे कि पौधों की मिट्टी) और आकार (जैसे कि उनकी वृद्धि की दिशा) की विशेषता एक साथ मिलकर खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता और पोषणता को प्रभावित करती है।
अरस्तू के इस विचार ने बाद के दार्शनिकों और वैज्ञानिकों को वस्तुओं की गहराई से समझने के लिए प्रेरित किया, और यह आज भी विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगी है।
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